दिल्ली

प्रधानमंत्री का सपना और चप्पल वाले भारतीय, क्या भारत वाकई एक लोकतंत्र है?

Shiv Kumar Mishra
9 May 2020 8:52 PM IST
प्रधानमंत्री का सपना और चप्पल वाले भारतीय, क्या भारत वाकई एक लोकतंत्र है?
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साथी अजीत अंजुम का वीडियो देखिए। चप्पल पहने वालों की बात करें तो असल में वो बेरोजगार तो हो ही चुके हैं। बे चप्पल भी कर दिए गए। जान भी गवां रहे हैं।

प्रधानमंत्री के इस वीडियो का अंश एक दूसरी टिप्पणी के साथ मैंने अपने स्कूल के मित्रों के ग्रुप में भेजा तो एक मित्र की प्रतिक्रिया थी, दिल्ली रांची का विमान किराया कुछ फ्लाइट में कुल 2500 रुपए है। इसपर मैंने पूछा, जो 40 दिन से कमाया नहीं उनके लिए 2500 कितना है, इसका अंदाजा है?

तो जवाब था, ये कुतर्क है भाई, अब रांची दिल्ली का किराया इससे कम क्या होगा। मोदीजी कोई संता क्लॉज थोड़े ही हैं? मतलब बातें सांता क्लॉज जैसी करके कुर्सी ले लो उसके बाद पूछो कि लोग पैदल क्यों जा रहे हैं। घर में क्यों नहीं रहते।

बताने की जरूरत नहीं है कि 2500 में कितने लोग टिकट खरीद पाते हैं? और मिल भी जाए तो इस शर्त पर टिकट ना कैंसिल होगा ना प्री पोन ना पोस्ट पोन। बेशक यह सब अनुचित व्यापार व्यवहार पर सरकार ने इसकी अनुमति दी है और ऐसे ही नियम रेलवे में भी लागू कर दिए है। यही नहीं - इस 2500 में किराया तो बहुत कम है, टैक्स ज्यादा है।

कुल मिलाकर सरकार ने कुछ नहीं किया है और यह कहने भर के लिए ही है पर भक्त हैं कि मानते नहीं। साथी अजीत अंजुम का वीडियो देखिए। चप्पल पहने वालों की बात करें तो असल में वो बेरोजगार तो हो ही चुके हैं। बे चप्पल भी कर दिए गए। जान भी गवां रहे हैं।

(प्रधानमंत्री का वीडियो 2017 का है पर अजीत ने गलती से 2007 कहा है हालांकि यू ट्यूब पर लिखा 2017 ही है।)

कोरोना से निपटने के लिए सरकार ने जो किया है और जनता को जो दिया है वह सर्वविदित है। इससे निपटने के नाम पर एक ऐप्प डाउनलोड करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस बारे में दो ट्वीट देखने लायक हैं।

लाखों भारतीयों को देश के कोरोनावायरस ट्रैकिंग ऐप्प को डाउनलोड करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यह एक ऐसी लाइन है जिसे किसी भी लोकतंत्र ने अभी तक कोरोना वायरस से अपनी लड़ाई में पार नहीं की है।

इससे यह सवाल खड़ा होता है : क्या भारत वाकई एक लोकतंत्र है?

Shiv Kumar Mishra

Shiv Kumar Mishra

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