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राघव चड्ढा को खाली करना होगा सरकारी बांग्ला, जानिए कोर्ट ने क्या दिया आदेश
राघव चड्ढा को टाइप-7 बंगले में रहने का विशेषाधिकार दिया गया था। वे बंगले में रहने के अधिकार का दावा नहीं कर सकते। राज्यसभा सचिवालय ने 3 मार्च को आप सांसद राघव चड्ढा के टाइप-7 बंगले का अलॉटमेंट रद्द करते हुए बंगला खाली करने का नोटिस जारी किया था। इसके खिलाफ राघव चड्ढा कोर्ट पहुंचे थे। आप सांसद ने कोर्ट में बताया था कि बतौर सांसद अभी उनका कार्यकाल चार साल से ज्यादा समय का बचा हुआ है। ऐसे में उन्हें बंगले में रहने का अधिकार है। हालांकि, कोर्ट ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया।
राघव चड्ढा का आया बयान
कोर्ट के आदेश के बाद राघव चड्ढा ने एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा- राज्यसभा के 70 साल से ज्यादा समय के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब एक राज्यसभा सदस्य को उसके आवंटित आवास से हटाने की मांग की जा रही है। आप सांसद ने भाजपा पर उन्हें टारगेट करने का आरोप लगाया।
राघव चड्ढा नवंबर में शिफ्ट हुए थे
दरअसल, राघव चड्ढा को 6 जुलाई 2022 को दिल्ली के पंडारा पार्क स्थित टाइप-6 बंगला नंबर C-1/12 अलॉट किया गया था। आप सांसद ने 29 अगस्त 2022 को राज्यसभा चेयरमैन से टाइप-7 बंगला अलॉट करने का आग्रह किया था। आप सांसद को 3 सितंबर 2022 को राज्यसभा कोटे से पंडारा रोड पर टाइप-7 बंगला नंबर AB-5 अलॉट किया गया। राघव चड्ढा 9 नवंबर 2022 को इस बंगले में शिफ्ट हुए थे।
सचिवालय ने राघव चड्ढा को बंगले के लिए अपात्र बताया
राज्यसभा सचिवालय ने आप सांसद राघव चड्ढा को टाइप-7 बंगले के लिए अपात्र बताया था। सचिवालय ने कोर्ट को बताया कि पहली बार चुने गए सांसदों को टाइप-6 बंगला आवंटित किया जाता है। टाइप-7 बंगले में रहने का अधिकार उन सांसदों को है, जो पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, पूर्व राज्यपाल, पूर्व मुख्यमंत्री या पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं। भाजपा सांसद राधा मोहन दास को भी टाइप-7 बंगले से टाइप-5 बंगले में भेजा गया था।
राघव चड्ढा ने भाजपा पर लगाए आरोप
हालांकि राघव चड्ढा ने दावा किया कि उनसे पहले भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी, राकेश सिन्हा, बसपा सांसद दानिश अली और पूर्व भाजपा सांसद रूपा गांगुली को भी टाइप-7 बंगला अलॉट किया जा चुका है। ये सभी पहली बार चुने गए सांसद थे।
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