- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
मनरेगा बचाओ.... ग्रामीण भारत बचाओ, 25 अप्रैल को जंतरमंतर चलो...
नई दिल्ली : वर्तमान सरकार(मोदी सरकार) मनरेगा योजना को चरणबद्ध तरीके से साजिशन खत्म करने की कोशिश कर रही है। जिस मनरेगा योजना की शुरुआत 2005 मे कांग्रेस सरकार ने कर के , ग्रामीण भारत के असंगठित कामगार परिवार के व्यस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष मे 100 दिनों की रोजगार गारंटी दी। यह जानकारी राष्ट्रीय सम्यवक, केकेसी प्रबल प्रताप शाही ने दी है।
आज औसत 25-30 दिनों का रोजगार दिया जा रहा है, करोड़ों जॉब कार्ड धारकों का भुगतान बकाया है, क्योंकि मोदी सरकार ने मनरेगा के बजट मे अभूतपूर्व कटौती कर दी है ।
2020-21 के कोरोना काल मे मोदी सरकार की गलत तरीक़े से लगाऐ गये लाकडाउन के कारण देश के महानगरों से करोड़ों असंगठित कामगार विस्थापित होकर गांव आए, तो यहीं मनरेगा योजना इन करोड़ों कामगारों के आजिविका का एकमात्र साधन बनी, जिस मनरेगा योजना का नरेंद्र मोदी ने संसद मे कांग्रेस की विफलताओं का पुतला बताकर उपहास उड़ाए था। वही मनरेगा योजना 2020-21 मे ग्रामीण भारत के अर्थव्यवस्था की रीढ़ साबित हुई। जहाँ मोदी सरकार अपने कुछ चंद मित्र कॉरपोरेट घरानों को प्रति वर्ष 2-2.5 लाख करोड़ रुपये का बेल -आउट प्लान के अंतर्गत लोन को बट्टा खाते मे डाल कर फायदा पहुंचा रही है
वहीँ मोदी सरकार ने 15 करोड़ मनरेगा कामगारों परिवारों के लिए बजट मे कुछ हजार करोड़ रुपए आंवटित किया। यह मनरेगा के करोड़ों कामगारों एव ग्रामीण भारत के साथ उपहास है। अखिल भारतीयअसंगठित कामगार एव कर्मचारी कांग्रेस(केकेसी)देश भर के मनरेगा कामगार अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले क्रांतिकारी कार्यकत्ताओं एव मनरेगा कामगारों से आह्वान करती है कि मनरेगा योजना को बचाने हेतु 25 अप्रैल 2023 को सुबह 11 बजे जंतर मंतर, नयी दिल्ली मे एकदिवसीय धरना प्रदर्शन मे भाग लेने के लिए भारी संख्या में पहुंचे।