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भोपाल।भाजपा के नए नवेले नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया एक दिन के अपने भोपाल दौरे में वह सब कुछ कर गए हैं जो नए सिरे से अपनी जमीन तलाश रहा राजनेता करता है।हां यह जरूर है कि कांग्रेस के दिनों की तरह उनके समर्थकों ने शक्ति प्रदर्शन तो नही किया।लेकिन सिंधिया बिल्ली के बच्चों की तरह अपने समर्थकों को साथ लिए घूमे।उन्होंने डिनर पॉलिटिक्स भी की औऱ मीटिंग पॉलिटिक्स भी।साथ ही वे जाते जाते मीडिया को अपना डीएनए भी बता गए।
ज्योतिरादित्य कई दिन से प्रदेश में घूम रहे थे।बुधवार को वे भोपाल पहुंचे।माना यह गया था कि वे गुरुवार को होने वाली प्रदेश कार्यसमिति में शामिल होंगे।लेकिन चूंकि वे अब भाजपा के राष्ट्रीय नेता हैं इसलिए वे दिल्ली जाकर वर्चुअल बैठक में शामिल हुए।
एक दिन में सिंधिया वह सब कर गए जो उन्हें चर्चा में रखे।वे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से अकेले में मिले।उनसे लम्बी बात की। उसके बाद वे प्रदेश के गृहमंत्री औऱ कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा के यहां गए। ग्वालियर क्षेत्र में ही राजनीति करने वाले नरोत्तम से भी सिंधिया ने लम्बी गुफ्तगू की। इसके बाद वे अपने समर्थक मंत्री प्रभुराम चौधरी की पुत्री के विवाह में शामिल हुये।प्रभुराम यूं तो प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री हैं लेकिन कोरोना के खिलाफ अभियान में उन्हें शिवराज ने नेपथ्य में ही रखा था।
उसके बाद सिन्धिया ने भिंड के भाजपा नेता और शिवराज के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के यहां डिनर किया।इस डिनर में पूरी "टीम सिंधिया" मौजूद थी।कांग्रेस विधायकों को भाजपा में लाने में अरविंद भदौरिया ने भोपाल से बेंगलुरू तक अहम भूमिका निभाई थी।
इन मेल मुलाकातों के बीच वे जगह जगह मीडिया से भी मिलते रहे।लेकिन जब मीडिया ने उनसे यह पूछा कि क्या वे निगम मंडलों में अपने समर्थकों की नियुक्ति की बात करने आए हैं।इस पर उन्होंने कहा-आप लोग जानते हैं कि मेरा डीएनए सेवा का डीएनए है।10 दिन में मैंने 11 जिलों के दौरे किये हैं।जनसेवा के पथ पर दौरे जरूरी हैं।साथ में वे मीडिया कर्मियों को कुछ सीखने की सलाह भी देते गये।
पिछले सप्ताह भी सिंधिया भोपाल दौरे पर आए थे।तब भी वे कुछ मंत्रियों से मिले थे।हालांकि उनकी तरफ से मुलाकातें सामान्य थीं लेकिन राजनीतिक पण्डित यह कहते हैं कि सिंधिया नए घर में वही रुतबा तलाश रहे हैं जो उनका पुराने घर में था।
हालांकि भाजपा के सूत्र यह भी बता रहे हैं कि ज्योतिरादित्य चाहते हैं कि प्रदेश में उनके समर्थकों का पुनर्वास हो जाये। चूंकि दिल्ली में उनका पुनर्वास अभी तक हो नही पाया है इसलिए समर्थक चिंतित और परेशान हैं।अतः सिंधिया चाहते हैं कि कम से कम प्रदेश में उनके समर्थकों को सत्ता में हिस्सेदारी मिल जाये। यह भी साफ है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ उनके सबन्ध "मधुर" हैं लेकिन फिर भी उनके मनमुताविक काम नही हो पा रहा है।
उधर सिंधिया समर्थक यह मान रहे हैं कि उनके महाराज अपना सेवा का डीएनए आगे करके भाजपा में अपनी जगह बनाना चाहते हैं।इसलिये वे अपने चिरविरोधी जयभान सिंह पवैया और प्रभात झा से भी मिल चुके हैं।इस तरह की मुलाकातें उनकी राह आसान करेंगी।देखना यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें सेवा का मौका कब देते हैं।क्योंकि उनके समर्थकों की निगाहें दिल्ली पर ही टिकी हैं।
इधर कांग्रेस ने अपने पुराने नेता के डीएनए वाले बयान पर चुटकी ली है।कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है- महाराज मेवा कहना चाहते थे लेकिन उनके मुंह से सेवा निकल गया।दरअसल वे अपनी मेवा पक्की करने आये थे और आगे भी आते रहेंगे।अगर कोई शक हो तो उनके समर्थक मंत्रियों के विभागों पर नजर डाल लीजिए।
अरुण दीक्षित