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शाहीन बाग धरना 2 गुटों में बटा दिखा, कहां किससे किस तरह बात करनी है ऐसे लिए जाते हैं हर फैसले
दिल्ली के शाहीन बाग में एनआरसी और सीएए के खिलाफ जारी प्रदर्शन को रविवार को 50 दिन पूरे हो गए है। शाहीनबाग में जारी प्रदर्शन की वजह से स्थानीय दुकानदारों का व्यापार चौपट हो गया है। आलम यह है कि प्रदर्शन की वजह से स्थानीय दुकानदार पिछले 50 दिनों से अपनी दुकान का शटर तक नहीं खोल पाए हैं। वहीं इस प्रदर्शन को सड़क से हटवाने के लिए दूसरी तरफ स्थानीय लोगों ने भी धरना-प्रदर्शन किया। जिन्होंने प्रदर्शनकारियों से तत्काल सड़क खाली करवाने की मांग की।
वही यहां हर छोटे-बड़े फैसले से लेकर नारेबाजी तक के मुद्दे मंच से नहीं मंच के सामने से तय होते हैं. किस मामले में डेलीगेशन बात करेगा और उसमें कौन-कौन होगा, इसका फैसला भी मंच के सामने बैठी महिलाएं ही करती हैं. मंच का इस्तेमाल बात रखने के लिए होता है फैसला लेने के लिए नहीं यह सब हो रहा है।
नागरिकता संशोधन कानून (CAA), नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) के विरोध में शाहीन बाग़ में चल रहे प्रदर्शन में. प्रदर्शन में बैठे लोगों का कहना है, "हमारी कोशिश है कि हम इस प्रदर्शन को फेसलेस रखें, तभी प्रदर्शन कामयाब होगा और हांगकांग में भी बीते 10 महीने से ऐसा ही हो रहा है."
हर रोज दिन से लेकर रात तक शाहीन बाग़ के प्रदर्शन में मौजूद रहने वाले शाहजाद अली बताते हैं, "जैसे ही सीएए के खिलाफ चलने वाला शाहीन बाग़ का प्रदर्शन सुर्खियां बटोरने लगा तो कुछ लोग यहां चेहरा चमकाने की कोशिश में लग गए. ऐसे लोगों में सियासत से जुड़े लोग भी थे तो एडवोकेट, एनजीओ चलाने वाले सामाजिक कार्याकर्ता आदि शामिल थे. लेकिन अच्छी बात यह थी कि पहले दिन से लेकर आज तक प्रदर्शन में शामिल होने वाली महिलाओं ने किसी को कामयाब नहीं होने दिया. हर फैसला ज़मीन पर बैठे लोगों की राय शुमारी के बाद ही लिया गया. अगर कोई बिना पूछे और बातचीत के प्रदर्शन को लेकर कहीं कोई वादा कर आया तो उसकी बात नहीं मानी गई."
वहीं, यह सड़क बंद होने के कारण शाहीन बाग व आसपास के लोगों को भी परेशानी होने लगी है। इसलिए अब ये लोग भी दो गुटों में बंट गए हैं। यह गुटबाजी बृहस्पतिवार देर रात उस वक्त दिखी जब दोनों गुटों के लोग स्टेज पर कहासुनी करने लगे। दरअसल, बृहस्पतिवार देर रात एक गुट के लोगों ने मीडिया में यह सूचना फैला दी कि वे रात 11 बजे प्रेस कांफ्रेंस करके बड़ा ऐलान करने वाले हैं।
मीडिया में यह ब्रेकिंग न्यूज चलते ही 11 बजे तक कई मीडियाकर्मी धरनास्थल पहुंच गए। लेकिन, वहां जाने पर मीडियाकर्मियों को बताया गया कि यहां पर कोई प्रेस कांफ्रेंस नहीं है। जबकि एक पक्ष के लोग मीडियाकर्मियों से बात करना चाहते थे। इसी बात पर वहां दोनों पक्षों के लोग स्टेज पर चढ़ गए और आपस में तू-तू मैं-मैं करने लगे। स्टेज पर धक्कामुक्की व शोर सुनकर मीडियाकर्मियों ने वीडियो व फोटो शूट करना शुरू किया तो ये लोग थोड़ी देर के लिए शांत हो गए। हालांकि इस घटना से यह भी उजागर हो गया कि धरना दे रहे लोगों में फूट पड़ गई है।
दरअसल, दूसरे पक्ष को लगा कि शायद पहले पक्ष के लोग प्रेस कांफ्रेंस में धरना समाप्त करने का ऐलान कर सकते हैं। इसलिए दूसरे पक्ष के लोगों ने इसकी अनुमति नहीं दी और मीडिया को वापस भेज दिया। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी शाहीन बाग मुख्य मुद्दा बन गया है। रैलियों के माध्यम से भाजपा, कांग्रेस और आप इसको लेकर एक दूसरे पर हमला करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।
50 दिन पांच अहम पडाव
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