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नई दिल्ली। 'होनहार बिरवान के होत चीकने पात' हिन्दी की इस प्राचीन प्रसिद्ध कहावत का अर्थ है कि होनहार बालक की प्रतिभा पालने में ही दिख जाती है। लोग पालने में देखकर ही अंदाजा लगा लेते हैं कि यह बालक बड़ा होकर ऐसे सराहनीय कार्य करेगा जिससे समाज, क्षेत्र व देश का भी नाम रोशन होगा।
इस कहावत को अक्षरशः चरितार्थ किया है भैरा एन्कलेव पश्चिम विहार निवासी पूर्व मंत्री दिल्ली सरकार राजकुमार चौहान के पौत्र शौर्य चौहान ने। शिक्षा के साथ-साथ खेलों में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने व सटीक रणनीति बनाने में माहिर शौर्य चौहान की प्रतिभा को देखते हुए भारत के सबसे आधुनिक व दुनिया भर में प्रसिद्ध स्कूल 'संस्कृति स्कूल' चाणक्यपुरी ने उन्हें स्कूल के स्पोर्ट्स कैप्टन पद से सुशोभित किया है।
देश के कोने-कोने से संस्कृति स्कूल में बेहद प्रतिभावान बच्चों का दाखिला होता है। इन प्रतिभा सम्पन्न बच्चों में से एक ऐसी प्रतिभा का चयन करना स्कूल प्रबंधन के लिए निश्चय ही बहुत बड़ा दुष्कर कार्य है। इस चयन में स्वयं स्कूल की प्रधानाचार्य भी एक सदस्य होती हैं। खेलों के प्रति गहरी रुचि एवं बेहतर स्पोर्ट्स नीति के चलते ही शौर्य चौहान को स्कूल के स्पोर्ट्स कैप्टन पद की जिम्मेदारी दी गई है। शौर्य गत् वर्ष वाइस कैप्टन पद की भी जिम्मेदारी भी सफलतापूर्वक निभा चुके हैं।
लॉकडाउन के कारण लगातार स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेज होने के बावजूद शौर्य चौहान ने बखूबी स्कूल की स्पोर्ट्स एक्टिविटी को बच्चों के बीच में जिंदा रखने का कार्य किया है। उनके इसी अनमोल योगदान को देखते हुए स्पोर्ट्स कैप्टन की बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संस्कृति स्कूल चाणक्यपुरी ने उन्हें सौंपी है। शौर्य चौहान ने इतनी बड़ी बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलने पर स्कूल प्रबंधन को तहेदिल से धन्यवाद देते हुए कहा कि वह स्कूल प्रबंधन व सभी छात्रों की उम्मीदों पर खरा उतरने का कार्य करेंगे।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में मेरा प्रयास होगा कि बच्चों को स्पोर्ट्स में किस प्रकार और अधिक सुविधाएं मिल सकें तथा ज्यादा से ज्यादा स्पोर्ट्स एक्टिविटी से बच्चों को लॉकडाउन के कारण बंद पड़े स्कूल में जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि आज शिक्षा का आधुनिकीकरण हो चुका है, मेरा प्रयास होगा कि खेलों पर भी नीति वैसी ही बने तथा बच्चे घर बैठे स्पोर्ट्स एक्टिविटी में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित हो सकें। यहां आपको बता दें कि शौर्य चौहान क्रिकेट के एक शानदार उभरते खिलाड़ी हैं, उन्होंने अनेक क्रिकेट प्रतियोगिताओं में स्कूल का नाम अपने सराहनीय खेल प्रदर्शन से रोशन किया है। वह अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित हो चुके हैं।
खेलों के साथ-साथ शौर्य चौहान शिक्षण कार्य में भी लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन करते रहे हैं, शौर्य चौहान का नाम जहां खेलों में सराहनीय है, वहीं शिक्षा में भी उनका परीक्षा परिणाम बहुत ही सराहनीय है। 10वीं की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा में उन्होंने 94 प्रतिशत अंक हासिल करके उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की थी। वर्तमान समय में शौर्य संस्कृति स्कूल के 12वीं कक्षा के छात्रा हैं। शिक्षण कार्य में स्कूल में सराहनीय योगदान देने वाले शौर्य का खेलों के साथ तारतम्य निश्चय ही बेहद काबिलेतारीफ है।
शौर्य चौहान की पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो वह एक राजनीतिक पृष्ठभूमि वाले परिवार से आते हैं, शौर्य चौहान के पिता बॉबी चौहान कुशल व्यवसायी एवं युवा राजनेता हैं जबकि माता श्वेता चौहान कुशल गृहणी हैं। शौर्य के दादा राजकुमार चौहान को देश की राजधनी दिल्ली के चहुंमुखी विकास का श्रेय दिया जाता है। वह दिल्ली विधानसभा में 20 वर्षों तक विधायक रहे हैं और दिल्ली सरकार में करीब 13 वर्षों तक बहुत सारे महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे हैं। उनके मंत्रित्व काल में ही राजधनी दिल्ली में कॉमनवैल्थ गेम सम्पन्न हुए थे।
दिल्ली को फलाईओवरों का शहर बनाने का श्रेय भी राजकुमार चौहान को ही जाता है। उनकी राजनीतिक बुलंदियों का लेशमात्र भी प्रभाव शौर्य पर नहीं गया। शौर्य चौहान खुद एक अच्छे खिलाड़ी, होनहार छात्र व प्रखर वक्ता भी हैं। सर्वकालीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर शौर्य की बहुत अच्छी पकड़ है। वह अपने दादा राजकुमार चौहान की तरह एक अच्छे वक्ता हैं तथा अनेक मंचों से उन्होंने बड़ी-बड़ी सभाओं को संबोधित भी किया है। आने वाले समय में शौर्य चौहान का नाम लोकप्रियता एवं सफलता के क्षेत्र में बहुत ही गर्व से लिया जाएगा। ऐसा इस 16 वर्षीय छात्र की प्रतिभा को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है, मैं ईश्वर से शौर्य के उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ।