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दिल्ली
बेरोजगारों और संविदाकर्मियों के खेवनहार बने शिवकुमार मिश्र
Satyapal Singh Kaushik
4 Jun 2022 4:00 PM IST
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उत्तर प्रदेश के जूनियर विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों के मुद्दों को लगातार 8 महीने से उठाकर, उसे जनता के बीच में लाने का कार्य किया है।
आज जहां जब सरकारें बेरोजगारी पर बात करना भी पसंद नहीं करतीं, देश के ज्यादातर न्यूज चैनल इस विषय को उठाने में कोई दिलचस्पी नहीं लेते । ऐसे समय में इन बेरोजगारों ,संविदाकर्मियों की आवाज बनकर आए हैं स्पेशल कवरेज न्यूज के संपादक शिवकुमार मिश्र।
आइए जानते हैं शिव कुमार मिश्र के बारे में
निष्पक्ष और सच्ची पत्रकारिता को अपना धर्म मानने वाले शिवकुमार मिश्र ने देश के बेरोजगार नौजवानों के प्रति, देश के संविदाकर्मियों जैसे अनुदेशकों,शिक्षामित्रों, एंबुलेंस कर्मियों, ग्राम प्रहरी, रोजगार सेवकों के प्रति गजब का जुनून देखने को मिलता है।
इनके हित के प्रति हमेशा चिंतित और सजग रहने वाले शिवकुमार मिश्र के प्रयासों का ही फल था कि उत्तर प्रदेश के जूनियर विद्यालयों में पढ़ाने वाले अनुदेशक जो सात हजार के अति अल्प मानदेय पर गुजर बसर कर रहे थे, जिनको कोई जानता तक नहीं था सरकार जिनका मानदेय घटा देती है और शोषण करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती है। ऐसे अनुदेशकों के मुद्दों को जनता के बीच में लाकर रख देना और सरकार हो या विपक्ष सबको इनकी दुर्दशा के बारे में बोलने पर विवश कर देना शिवकुमार मिश्र के ही बस की बात थी। शिवकुमार मिश्र ने विपक्ष को मजबूर कर दिया कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में एक विपक्षी दल को अनुदेशक समायोजन की बात तक कहनी पड़ी। लगातार 8 महीनों से एक ही मुद्दे के ऊपर बहस करना कोई साधारण बात नही हो सकती। अपने चैनल स्पेशल कवरेज न्यूज के माध्यम से जनता के बीच में देश के बेरोजगारो और संविदाकर्मियों की परेशानियों, दुश्वारियों की बात पहुंचाना कोई इनसे सीखे।
बेरोजगारी और संविदा के इस प्रकोप से निकालने का जो बीड़ा शिवकुमार मिश्र ने उठाया है निश्चित ही वह सराहनीय है।
शिवकुमार मिश्र के अलावा उनकी इस लड़ाई में साथ देने वाले देश के जानेमाने वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र दुबे का भी योगदान कम नहीं है।
बेरोजगारीरूपी मोतियों की जिस माला को शिवकुमार मिस्र ने पिरोया है वह प्रशंसनीय है।
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