दिल्ली

तो क्या विपक्षी एकता का बसपा नही करेगी समर्थन, भाजपा की तर्ज पर बहन जी भी कार्यकताओं को जोड़ेंगी बूथ स्तर तक!

Shiv Kumar Mishra
5 Jun 2023 10:11 AM GMT
तो क्या विपक्षी एकता का बसपा नही करेगी समर्थन, भाजपा की तर्ज पर बहन जी भी कार्यकताओं को जोड़ेंगी बूथ स्तर तक!
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निकाय चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद गांवों पर रहेगा फोकस!

दिल्ली : एक ओर जहां आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्ष एकजुट होने की कोशिश में जुटा हुआ है नीतीश कुमार द्वारा पटना में आयोजित होने वाली विपक्षी दलों की 12 जून की बैठक को एक बार स्थगित कर दिया है जिसका मूल कारण संभवतः मल्लिकार्जुन द्वारा तिथि आगे बढ़ाई जाने को बताया जा रहा है।

क्योंकि राहुल गांधी बाहर है वैसे तो उनका 7 जून को वापस भारत होने का कार्यक्रम है मगर संभवत अभी 12 जून की जगह 23 जून को पटना में फिर से बैठक बुलाई जा सकती है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब अपनी सक्रियता दिखाते हुए पिछले विधानसभा चुनाव और हाल ही में उत्तर प्रदेश में नगर निगम के चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद एक बार कार्यकर्ताओं को फिर से मैदान में उतरने के निर्देश दिए हैं। मायावती ने भारतीय जनता पार्टी की तर्ज पर ही बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने के लिए पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को निर्देशित किया है।

मायावती ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि प्रत्येक मंडल से काम शुरू करो और फिर हर गांव के बूथ तक जाना है। सेक्टरों की बैठक में बूथ कमेटियां बनाने का निर्णय होगा। मायावती ने कहा की बूथों पर यह देख लें कि पुराने कार्यकर्ताओं में अभी कितने सक्रिय हैं। जो काम नहीं कर रहे हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखाओ। "नए लोगों को जोड़ों और बूथ पर जिम्मेदारी तय करो" इसके अलावा बहन जी ने बसपा ने प्रदेश में 'गांव चलो' अभियान शुरू कर दिया है।

नगर निकाय चुनाव में मिली मात के बाद बसपा अब गांवों पर फोकस करेगी। मायावती ने इस अभियान की पूरी रूपरेखा पार्टी पदाधिकारियों को समझा दी है। कहा गया है कि गांव गांव जाकर अपने काडर वोटर को सबसे पहले समझाओ। जो छिटक रहे हैं, उन्हें जोड़ो। मायावती के कार्यकर्ताओं को दिए गए सख्त दिशानिर्देश से एक बार तो शायद नीतीश कुमार को अप्रत्यक्ष रूप से यह जवाब दिया जा रहा है कि वह विपक्षी एकता को समर्थन नहीं करेंगी। साथ ही लोक सभा चुनाव खुद अपने स्तर पर ही लड़ेंगी। देखने वाली बात यह होगी की जिस प्रकार से बहन जी स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में उतरना चाहती हो वह निर्णय अंतिम समय तक कायम रहेगा या बीच में ही किसी अन्य संगठन से भी कोई सीटों के बंटवारे को लेकर समझौता करेंगी!

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