दिल्ली

जीवनसाथी का सेक्स के लिए मना करना मानसिक क्रूरता: दिल्ली हाईकोर्ट

Satyapal Singh Kaushik
1 Nov 2023 8:15 PM IST
जीवनसाथी का सेक्स के लिए मना करना मानसिक क्रूरता: दिल्ली हाईकोर्ट
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यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में आया था, जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया

Delhi: दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक के मामले में एक अहम फैसला किया है। तलाक के इस मामले में पति अपनी पत्नी से यह कहते हुए तलाक मांग रहा था कि वह उसको घर जमाई बना कर रखना चाहती है और वह उसके साथ शारीरिक संबंध (Sex) स्थापित करने से मना कर देती है. ऐसे में अदालत ने कहा, 'पति या पत्नी द्वारा अपने साथी के साथ सेक्स करने से मना कर देना मानसिक क्रूरता है'।

यह क्रूरता तभी है,जब इसे जानबूझकर किया जाता हो

अदालत ने आगे कहा, जीवनसाथी का शारीरिक संबंध बनाने से इंकार कर देना मानिसक क्रूरता तो है लेकिन इसे क्रूरता तभी माना जा सकता है जहां एक साथी ने लंबे समय तक जानबूझकर ऐसा किया है. इस मामले में ऐसा नहीं है लिहाजा अदालत ने पति के पक्ष में आये निचली अदालत के फैसले को खारिज कर दिया जिसमें उसने दोनों के तलाक को मंजूरी दी थी।

छोटे मोटे विवाद को क्रूरता नहीं माना जा सकता

कोर्ट ने आगे कहा कि, ये बहुत ही संवेदनशील मामले हैं. अदालतों को ऐसे मामलों से निपटने के लिए बहुत सावधानी बरतनी चाहिए. विवाहित जोड़ों के बीच मामूली मनमुटाव और विश्वास की कमी को मानसिक क्रूरता करार नहीं दिया जा सकता है. पति ने पत्नी द्वारा मानसिक क्रूरता के कारण तलाक मांगा और आरोप लगाया कि उसे ससुराल में उसके साथ रहने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और वह चाहती थी कि पति उसके साथ उसके मायके में ‘घर जमाई’ के रूप में रहे. दोनों की शादी 1996 में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुई और 1998 में दंपति की एक बच्ची हुई। यद्यपि यौन संबंध से इनकार करना मानसिक क्रूरता का एक रूप माना जा सकता है, लेकिन जब यह लगातार, जानबूझकर और काफी समय तक हो। इस तरह से कोर्ट ने पति की याचिका को साक्ष्य के अभावों में खारिज कर दिया है।


Satyapal Singh Kaushik

Satyapal Singh Kaushik

न्यूज लेखन, कंटेंट लेखन, स्क्रिप्ट और आर्टिकल लेखन में लंबा अनुभव है। दैनिक जागरण, अवधनामा, तरुणमित्र जैसे देश के कई प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित होते रहते हैं। वर्तमान में Special Coverage News में बतौर कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं।

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