दिल्ली

लोग उड़ाते थे मजाक फिर भी नहीं मानी हार जानिए दिव्यांग आईएएस ऑफिसर की सफलता की कहानी

Anshika
6 April 2023 5:12 AM GMT
लोग उड़ाते थे मजाक फिर भी नहीं मानी हार जानिए दिव्यांग आईएएस ऑफिसर की सफलता की कहानी
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कुछ लोग अपने कमियों को बहाना बनाकर संघर्ष और मेहनत से पीछे हट जाते हैं लेकिन कुछ लोग इसी कमी को अपनी हिम्मत बना कर आगे बढ़ते हैं।

कुछ लोग अपने कमियों को बहाना बनाकर संघर्ष और मेहनत से पीछे हट जाते हैं लेकिन कुछ लोग इसी कमी को अपनी हिम्मत बना कर आगे बढ़ते हैं। ऐसी ही कुछ कहानी है यूपीएससी टॉपर इरा सिंघल की।इरा आज के समय में सभी के लिए एक प्रेरणा है जो शारीरिक रूप से सक्षम ना होने के बावजूद यूपीएससी में टॉप किया और आईएएस ऑफिसर बन गई इरा सिंघल का जन्म मेरठ यूपी में हुआ था।बाद में उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया।इरा बचपन से ही पढ़ाई में काफी होशियार थी लेकिन अपनी दिव्यांगता के कारण उन्हें हर जगह हंसी का पात्र बनना पड़ा। स्कूल में भी लोग उनका मजाक उड़ाते थे लेकिन इरादे इन सब से कभी भी हार नहीं मानी और ना ही अपने दिव्यांगता को कभी अपनी कमी समझा बल्कि इसे दिव्यांगता को अपनी हिम्मत समझकर उन्होंने आगे बढ़ने का फैसला किया। इरा ने दिल्ली के सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से ग्रेजुएशन किया। वहां फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज एमबीए पूरा किया।


शुरू में कुछ समय तक प्राइवेट कंपनी में नौकरी भी की लेकिन वह इससे बिल्कुल भी खुश नहीं थी और यूपीएससी की तैयारी करने की सोच रही थी।वो बचपन से ही डीएम की शक्ति और जिम्मेदारियों से प्रभावित थी और वह बड़े होकर कुछ ऐसा ही करना भी चाहती थी। वह हमेशा से ही अपने लक्ष्य पर केंद्रित थी। उन्होंने साल 2010 2011 2013 में यूपीएससी की परीक्षा निकाली थी लेकिन उनके दिव्यांगता के कारण उन्हें पोस्टिंग नहीं मिली। लेकिन उन्होंने तब भी हार नहीं मानी। उन्होंने इस फैसले को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल CAT को चैलेंज किया और ट्रिब्यूनल ने 2014 में इराक के हक में फैसला सुनाया जिसके बाद उन्हें पोस्टिंग मिल गई लेकिन उन्होंने दोबारा यूपीएससी परीक्षा देने का सोचा। 2014 में उन्होंने air-1 हासिल की।

इरा कहती है कि जब यूपीएससी की तैयारी करती थी तो लोग उनका मजाक उड़ाते थे। कहते थे कि जो ढंग से चल नहीं सकती वह यूपीएससी क्या निकालेगी लेकिन ईरान ने पूरे देश में टॉप करके लोगों को मुंहतोड़ जवाब दिया। उनका लक्ष्य है कि वह अपने जीवन में आगे बढ़े और अपनी तरह ही शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के कल्याण के लिए काम करें ।उनकी कहानी खुद में समाज के लिए बहुत बड़ी सीख है। आज इरा उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो जिंदगी में कुछ नहीं करना चाहते हैं और कुछ ना करने का बहाना बनाते हैं इरा में अपने सपने देखे और उनको पूरा भी किया।

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