दिल्ली

सुप्रीमकोर्ट ने प्रशांत भूषण को बयान पर दोबारा सोचने के लिए दी मोहलत, उन्होंने ठुकराया प्रस्ताव

Shiv Kumar Mishra
20 Aug 2020 12:04 PM IST
सुप्रीमकोर्ट ने प्रशांत भूषण को बयान पर दोबारा सोचने के लिए दी मोहलत, उन्होंने ठुकराया प्रस्ताव
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प्रशांत भूषण अवमानना मामले में सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई टालने के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया. देश के जाने माने वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट ने पिछले सप्ताह कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिया था. जिसके लिए सजा सुनाये जाने के लिए आज दिन मुकर्रर किया है. कुछ ही देर में सुप्रीम कोर्ट सजा सुनाएगा.

वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आपराधिक अवमानना का दोषी पाये जाने के बाद आज सज़ा पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण मिश्रा की खण्‍डपीठ ने भूषण को पुनर्विचार करने के लिए दो-तीन दिन का वक्‍त देते हुए फैसला सुनाने से मना कर दिया। भूषण ने इस पेशकश को यह कहते हुए ठुकरा दिया है कि वे अपना बयान नहीं बदलेंगे।

गुरुवार को सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट द्वारा प्रशांत भूषण के इस आवेदन को खारिज कर दिया गया जिसमें उन्‍होंने दूसरी खण्‍डपीठ के समक्ष सुनवाई की मांग रखी थी। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्‍यक्षता वाली खण्‍डपीठ ने उन्‍हें आश्‍वासन दिया कि उनके खिलाफ दिये गये फैसले की समीक्षा से पहले सज़ा नहीं सुनायी जाएगी।

हफ्ते भर पहले 14 अगस्‍त को बेंच ने प्रशांत भूषण को दो ट्वीट के आधार पर अवमानना का दोषी ठहराया था। उस वक्‍त भूषण ने अपने प्रतिवेदन में कहा था कि जिस शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ सुनवाई शुरू की गयी है उसकी प्रति उन्‍हें अब तक नहीं दी गयी है। यह बात आज एक बार फिर अधिवक्‍ता राजीव धवन ने बेंच के समक्ष दोहरायी।

इसके जवाब में जस्टिस मिश्रा ने कहा कि प्रशांत भूषण के ट्वीट पर संज्ञान लिया गया था, शिकायत पर नहीं। धवन ने इसके बाद विजय कुर्ले के केस का हवाला देते हुए कहा उसमें शिकायत की प्रति देने की बात की गयी थी।

इसी संदर्भ में धवन ने बेंच से कहा कि 14 अगस्‍त को दिया गया फैसला जब शीर्ष संस्‍थानों तक पहुंचेगा तो सुप्रीम कोर्ट की बहुत आलोचना होगी क्‍योंकि फैसले के 20 पन्‍ने विजय कुर्ले केस के फैसले से हूबहू उठाकर चिपका दिये गये हैं।

सुनवाई के दौरान भूषण ने अपना एक लिखित बयान कोर्ट को पढ़ कर सुनाया और दोनों ट्वीट के लिए माफ़ी मांगने से इनकार कर दिया। उन्‍होंने इस बयान के अंत में महात्‍मा गांधी को उद्धृत किया।

राजीव धवन और दुष्‍यंत दवे की बहस के बाद जस्टिस गवई ने प्रशांत भूषण से पूछा कि क्‍या वे अने बयान पर दोबारा विचार करना चाहेंगे? इस पर भूषण ने कहा कि वे ऐसा नहीं चाहते। जहां तक समय देने की बात है, उन्‍हें नहीं लगता कि इससे कुछ सार्थक हो पाएगा। यह अदालत का समय खराब करना होगा क्‍योंकि मैं अपना बयान नहीं बदलने वाला।

इसके बाद जस्टिस मिश्रा ने कहा कि राजीव धवन अपनी दलील पूरी कर सकते हैं और बेंच प्रशांत भूषण को उनके बयान पर पुनर्विचार करने का वक्‍त देगी। जस्टिस मिश्रा ने भूषण को तीन दिन का वक्‍त यह कहते हुए दिया कि वे अभी सज़ा पर फैसला सुनाने नहीं जा रहे हैं।

क्या हुई बात

प्रशांत भूषण ने कहा कि मुझे यह सुनकर दुःख हुआ है कि मुझे अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है।

प्रशांत भूषण- मैं इस बात से दुखी नहीं हूं कि मुझे सजा हो सकती है बल्कि इस बात से दुखी हूं कि मुझे गलत समझा गया ।

प्रशांत भूषण ने कहा कि मेरा मानना है कि लोकतंत्र और इसके मूल्यों की रक्षा के लिए एक खुली आलोचना आवश्यक है।

मेरे ट्वीट्स मेरे कर्तव्यों का निर्वहन करने का प्रयास हैं, मेरे ट्वीट्स को संस्था की भलाई के लिए काम करने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए।

राजीव धवन ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर न्यायपालिका में कोई भ्रष्टाचार होता है, तो हम इसे कैसे उजागर करना चाहिए।

राजीव धवन ने कहा अपराध की प्रकृति क्या है, अपराध की प्रकृति कैसी है, यह भी देखा जाना चाहिए।

वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने प्रशांत भूषण के बचाव में दलील देते कहा कई महत्वपूर्ण मामलों 2G घोटाला, कॉल ब्लॉक घोटाला, गोवा माइनिंग, CVC नियुक्ति सभी मामलों में कोर्ट के सामने प्रशांत भूषण ही आये थे।

सजा देते समय कोर्ट को प्रशांत भूषण के इन योगदान को देखना चाहिए ।

जस्टिस अरुण मिश्रा - हम 'फेयर क्रिटिसिज्म' के खिलाफ नहीं है, हम इसका स्वागत करते हैं, मैंने अपने पूरे करियर में एक भी व्यक्ति को कोर्ट की अवमानना ​​का दोषी नहीं ठहराया है।

जस्टिस मिश्रा- अच्छे काम करने का स्वागत है हम आपके अच्छे मामलों को दाखिल करने के प्रयासों की सराहना करते हैं।

जस्टिस मिश्रा ने कहा कि संतुलन और संयम की आवश्यकता है, आप सिस्टम का हिस्सा हैं अधिक करने के उत्साह में, आपको लक्ष्मण रेखा को पार नहीं चाहिए, अगर आप अपनी टिप्पणियों को संतुलित नहीं करते हैं, तो आप संस्था को नष्ट कर देंगे, हम अवमानना के लिए इतनी आसानी से दंड नहीं देते।

प्रशांत भूषण- मेरे ट्वीट जिनके आधार पर अदालत की अवमानना का मामला माना गया है दरअसल वो मेरी ड्यूटी हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं।इसे संस्थानों को बेहतर बनाए जाने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए था।

भूषण ने कहा मैंने जो लिखा है वो मेरी निजी राय है, मेरा विश्वास और विचार है, ये राय और विचार रखना मेरा अधिकार है, मैंने अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारी का निर्वहन किया है।माफी मंगाना कर्त्तव्य की उपेक्षा करना होगा, आपको जो सही लगे, वो सज़ा दे।

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