दिल्ली

रेपिस्ट को फांसी की मांग पर अनशन पर बैठी थी, स्वाति मालीवाल हुईं बेहोश,अस्पताल ले जाया गया

Sujeet Kumar Gupta
15 Dec 2019 5:21 AM GMT
रेपिस्ट को फांसी की मांग पर अनशन पर बैठी थी, स्वाति मालीवाल हुईं बेहोश,अस्पताल ले जाया गया
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नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल की तबीयत बिगड़ गई है। उन्हें एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वो दुष्कर्म के आरोपियों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग को लेकर पिछले 13 दिन से अनशन पर हैं। अनशन की वजह से स्वाति मालीवाल का वजन भी घटा है आज सुबह वो अचानक ही बेहोश हो गईं, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के अस्पताल की इमरजेंसी वॉर्ड में भर्ती कराया गया. डॉक्टरों की टीम उनके इलाज में जुटी हैं दिल्ली महिला आयोग के मुताबिक स्वाति मालीवाल कमजोरी के चलते बात भी करने में असमर्थ हैं।

स्वाति मालीवाल का वजन 7 किलो कम हो गया है और देर रात जब डॉक्टर्स की टीम ने चेकअप किया तो उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी. लेकिन वह मानीं नहीं और आज सुबह बेहोश हो गईं.स्वाति मालीवाल से जुड़े लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार का कोई भी नुमाइंदा राजघाट नहीं पहुंचा. इससे वह काफी व्यथित थीं.

इससे पहले देशभर में दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं के विरोध में राजघाट पर आमरण अनशन पर बैठीं स्वाति मालीवाल ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। मालीवाल ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि दिशा कानून को तत्काल प्रभाव से पूरे देश में लागू किया जाए।

आंध्र प्रदेश सरकार ने यौन अपराधों व एसिड हमले के मामलों की सुनवाई के लिए राज्य में दिशा कानून लागू किया है। दिल्ली महिला अयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का कहना है कि उपवास पर बैठने से पहले भी उन्होंने पत्र लिखकर विशिष्ट मांगों पर तत्काल कार्रवाई की मांग की थी लेकिन अफसोस कि प्रधानमंत्री ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।

उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि आंध्र प्रदेश सरकार का इस दिशा में उठाया गया कदम उम्मीद जताता है। शुक्रवार को आंध्र प्रदेश विधानसभा में दिशा बिल पारित हुआ। मालीवाल ने कहा कि यह कानून महिलाओंं के खिलाफ अपराधों में न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

मालीवाल ने मांग की है कि यौन अपराध व एसिड हमले के अपराधों में मृत्युदंड की अधिकतम सजा का प्रावधान करने के लिए भारतीय दंड संहिता और पोकसो अधिनियम में संशोधन किया जाए। इन मामलों में पुलिस की जांच सात दिनों में पूरी करने की व्यवस्था की जाए। वहीं, 14 दिन में न्यायिक परीक्षण पूरा हो।

अपने पत्र में मालीवाल ने आगे लिखा है कि सभी अपील और संशोधन याचिकाओं का निपटारा 3 महीने के भीतर हो। दुष्कर्म, छेड़छाड़ और एसिड हमले के अपराधों से जुड़े मामलों की सुनवाई को हर जिले में विशेष सत्र अदालत (फास्ट-ट्रैक कोर्ट) बनाई जाएं।

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