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धारा 144 लागू होने पर प्रशासन के पास है ये अधिकार, भीड़ नहीं अकेले हैं तब भी हो सकती कार्रवाई, जानें कानून
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में उग्र और हिंसक विरोध प्रदर्शन (violent protest) हो रहे हैं. इससे निपटने के लिए राज्य सरकारों ने कई जगहों पर धारा 144 लगा दी है. पूरे उत्तर प्रदेश में 31 जनवरी तक के लिए धारा 144 लागू की गई है।
जान ले कि किसी जगह की शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए वहां धारा 144 लगाई जाती है. धारा 144 दंगा या विरोध प्रदर्शन के बाद भी लगाई जा सकती है और कानून व्यवस्था बिगड़ने की संभावना को देखते हुए, इसे पहले भी लागू किया जा सकता है. धारा 144 सीआरपीसी 1973 के अंतगर्त आता है. ये अंग्रेजों के वक्त का कानून है, जो अब तक चला आ रहा है।
मजिस्ट्रेट धारा 144 का लिखित आदेश जारी करते हैं. ये किसी खास व्यक्ति, किसी खास जगह पर रहने वाले व्यक्तियों या फिर किसी खास जगह पर रहने या घूमने वाली आम जनता के खिलाफ जारी हो सकता है. गुरुवार को जब बेंगलुरु में मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा एक टीवी रिपोर्टर के साथ बात कर रहे थे, उसी दौरान बेंगलुरु पुलिस ने रामचंद्र गुहा को हिरासत में ले लिया. उस वक्त सवाल उठा कि जब वहां दो ही लोग मौजूद थे तो रामंचद्र गुहा को धारा 144 के उल्लंघन में किस बिना पर हिरासत में लिया गया?
दरअसल इस बात को समझने की जरूरत है कि धारा 144 के प्रावधानों के मुताबिक सिर्फ 3 या 3 से ज्यादा व्यक्ति के एक जगह पर इकट्ठा होने पर नहीं बल्कि एक व्यक्ति के भी वहां होने पर उसे हिरासत में लिया जा सकता है. ये मजिस्ट्रेट पर निर्भर करता है कि वो एक आदमी के एक जगह होने पर क्या सोचता है. अगर एक व्यक्ति के भी एक जगह पर खड़ा होने से किसी तरह का खतरा, आम जनता के लिए भय का वातावरण या किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था का मसला खड़ा होता है, तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है. इमरजेंसी के हालात में बिना किसी पूर्व सूचना के धारा 144 लागू कर किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
धारा 144 लागू होने पर प्रशासन के पास अधिकार
धारा 144 लागू होने पर मजिस्ट्रेट किसी व्यक्ति को किसी खास कार्य से रोक सकते हैं, कोई खास निर्देश दे सकते हैं. आमतौर पर धारा 144 लागू होने पर लोगों के मूवमेंट पर रोक लगा दी जाती है. किसी भी तरह के हथियार रखने या फिर गैरकानूनी तरीके से एक जगह पर इकट्ठा होने की मनाही होती है.