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नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित 'बचपन बचाओ आंदोलन' की मुहिम रंग लाई
नई दिल्ली। लापता बच्चों और बच्चों के खिलाफ अपराध से जुड़े मामलों में पीडि़त पक्ष की मदद के लिए अब दिल्ली के सभी पुलिस थानों में पैरा लीगल वालंटियर्स(पीएलवी) की नियुक्ति की जाएगी। इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण(डीएसएलएसए) को पीएलवी तैनात करने की योजना को विस्तार देने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के निर्देश पर ही डीएसएलएसए ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली के 50 संवेदनशील पुलिस थानों में पीएलवी की नियुक्ति की थी। हाईकोर्ट इसी मामले की सुनवाई कर रहा था।
हाईकोर्ट ने कहा है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को कैसे आगे ले जाया जाए, इस पर विचार करें। गौरतलब है कि सितंबर, 2022 में सर्वोच्च अदालत ने सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के कानूनी सेवा प्राधिकरणों को पीएलवी की नियुक्ति को लेकर योजनाएं विकसित करने का निर्देश दिया था।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और अनूप जयराम भंभानी की खंडपीठ दो मामलों ''द कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन बनाम राज्य और सधन हल्दर बनाम दिल्ली बनाम अन्य '' को लेकर किशोर न्याय अधिनियम और उसमें बनाए गए नियमों के तहत किशोर न्याय वितरण प्रणाली के कामकाज को कारगर बनाने के लिए आपराधिक संदर्भ पर सुनवाई कर रही थी। खंडपीठ ने कहा कि सभी संबंधित पक्ष दिल्ली में सभी पुलिस स्टेशनों में पैरा-लीगल वालंटियर्स के पैनल की योजना का विस्तार करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर विचार करेंगे। इन दोनों ही मामलों में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित 'बचपन बचाओ आंदोलन' भी एक पक्ष है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार, पुलिस और डीएसएलएसए की ओर से पेश वकील ने हाईकोर्ट को बताया गया कि हम शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन कर रहे हैं और इस पायलट प्रोजेक्ट के खत्म होने का सवाल ही नहीं उठता। पायलट प्रोजेक्ट को पूरी दिल्ली में एक नियमित योजना के रूप में लागू किया जाना है।
दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए, डीएसएलएसए उचित स्तर पर विचार करने या इसके संवितरण के लिए सरकार को अनुमानित बजटीय आवश्यकताओं को प्रस्तुत कर सकता है। पीठ ने मामले को अगली सुनवाई के लिए 24 फरवरी को सूचीबद्ध किया है।