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मुद्दा स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, केजरीवाल और जमात नहीं!
- नोएडा जैसे अहम और दिल्ली से सटे शहर में कोरोना की शुरुआत में ही पस्त हो गईं स्वास्थ्य सुविधाएं
- अगले दो दिन तक कोई नया मरीज आया तो नहीं है उनके लिये कोई इंतजाम
नीचे नवभारत टाइम्स ऑनलाइन की एक खबर के कुछ अंश दिए गए हैं। उन्हें पढ़िए और समझने की कोशिश करिए कि असल मुद्दे से आपका ध्यान क्यों भटकाया जा रहा है। देश की राजधानी से सटे हुए यूपी के सबसे आधुनिक और समृद्ध शहर में सरकार कोरोना की शुरुआत में ही अगर पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं जुटाने में ही इतना जद्दोजेहद कर रही है तो जरा कल्पना कीजिये कि यूपी के छोटे छोटे शहरों या गांव-कस्बों का क्या हाल होगा, यदि कोरोना ने यहां भी वही विकराल रूप धारण कर लिया, जो विदेशों में वह कर ही चुका है।
ऐसा ही कुछ हाल पूरे देश का है। इसलिए इस बार किसी तरह से बच भी गए तो इस बात को अभी से गांठ बांध लीजिए कि सरकार चुनने के वक्त और उसके आने के बाद भी किन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए।
नोएडा में अबतक 41 केस सामने आ चुके हैं। अच्छी बात यह रही कि शनिवार से हर दिन औसतन 7 मामले सामने आ रहे थे, जबकि मंगलवार को सिर्फ तीन मामले ही सामने आए। अब दो आइसोलेशन वॉर्डों में सिर्फ सात बेड ही खाली बचे हैं।
दो दिन पहले ही नोएडा के डीएम का चार्ज लेने वाले सुहास एलवाई से जब पूछा गया कि अगर बुधवार को पांच से अधिक मरीज सामने आते हैं तो कैसे मैनेज किया जाएगा तो उन्होंने कहा, 'मुझे यकीन है कि हम कुछ का मैनेज कर लेंगे।'
सुहास ने कहा कि प्रशासन 100 बेडों की व्यवस्था को फंक्शनल करने की कोशिश कर रहा है। हमारे पास अभी कोई ऐसा मरीज नहीं है जिसे ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता हो। यदि जरूरत होगी तो हमारे पास 20 से अधिक सिलेंडर हैं। नए अस्पताल में पाइपलाइन का काम भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है और हम इसे जल्द से जल्द तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। आपको बता दें कि कोविद -19 मरीजों के लिए जिले में दो अस्पताल हैं, जिनमें प्रत्येक में 20 बेड हैं। ग्रेटर नोएडा के गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (जीआईएमएस) और नोएडा के सेक्टर 30 में स्थित चाइल्ड पीजीआई (एसएसपीएचपीजीटीआई) में कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है।
जीआईएमएस में 18 बेड फुल हैं जबकि चाइल्ड पीजीआई में 15 बेड फुल हैं। इनमें अगले दो दिन तक जीआईएमएस किसी मरीज को एडमिट नहीं कर सकता है।
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से साभार