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दिल्ली दिलवालों की बताई जाती है (है भी) और उसी दिल्ली में एक मकान मालिक ऐसा भी निकला। अमूमन मैं मकान मालिकों के हक में रहता हूं। मेरा मानना है कि किराए पर मकाने देने का कारोबार करने वालों से अलग अपने घर का हिस्सा किराए पर देने वाला मजबूर-गरीब ही होता है और वह भले ही मकान मालिक को आम आदमी ही होता और आम आदमी से ऐसी हरकत की उम्मीद नहीं की जा सकती। शर्मनाक। डूब मरने लायक।
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