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सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिकता के खिलाफ दायर याचिका की होगी सुनवाई
नई दिल्ली : श्रीमती अनीता चौहान, निदेशक, आयुर्वेद वैलनेस सेंटर के द्वारा उनके सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील डॉ. एपी सिंह ने डायरी नं. 67242-43/23 के आधार पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिकता के खिलाफ याचिका लगाई थी जिस पर दिनांक 18 अप्रैल 2023 को पांच जजों की संवैधानिक पीठ जिसमें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एस रविंद्र भट्ट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी एस नरसिंभा के समक्ष सुनवाई होगी।
याचिका में डॉ. सिंह ने कहा है कि समलैंगिकता विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के खिलाफ है, तथा यह पूर्ण रूप से अप्राकृतिक भी है। हिंदू मैरिज एक्ट, विदेशी मैरिज एक्ट तथा स्पेशल मैरिज एक्ट का अनुपालन देश की संसद द्वारा आम जनता तथा समाज के विभिन्न वर्गों के विचार आने के बाद ही हो रहा है। डॉ. एपी सिंह ने अपनी याचिका में कहा है कि समलैंगिक विवाह कई देशों में अभी भी अपराध की श्रेणी में ही आता है तथा इस कानून से स्त्री और पुरुष के द्वारा शादी का अनुपात घटेगा।
याचिका में कहा गया है कि समलैंगिक शादी हमारे समाज के पवित्र रीति रिवाज को समाप्त करने में एक हथियार का काम करेगा तथा समलैंगिकता के अपराध को कभी कोर्ट में भी सिद्ध नहीं किया जा सकता क्योंकि शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक जुड़ाव भी दोनों पक्षों में कभी भी नहीं हो पाता है तथा समलैंगिकता मानसिक और शारीरिक रूप से भी व्यक्ति को कमजोर ही करती है, समलैंगिकता के कारण सामाजिक जीवन से शादियां समाप्त होती चली जाएंगे तथा प्रजनन तथा अगली जनरेशन भविष्य के लिए संतति उत्पत्ति एवं बुजुर्ग अवस्था में बच्चों का ना होना बड़ी ही चिंता का विषय है तथा भविष्य मे पिछली पीढ़ी दर पीढ़ी द्वारा इकट्ठी की गई संपत्ति का भी भविष्य में विवाद ही बना रहेगा।
याचिका के अनुसार समलैंगिकता के पक्ष में बना कानून भारतीय विवाह पद्धति सामाजिक जीवन को समाप्त और बर्बाद करने के लिए एक विध्वंसकारी कानून के रूप में प्रयोग होगा क्योंकि भारतीय सभ्यता और संस्कृति में तथा देश के सभी धर्मों, नस्लों तथा जातियों में विवाह एक पवित्र और धार्मिक संस्कार है जिसके बिना जीवन में अपूर्णता बनी रहती है तथा गृहस्थाश्रम जीवन के लिए अन्य आश्रम व्यवस्था के साथ-साथ जीवन की सुगमता के लिए भी अति महत्वपूर्ण है।