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वैशाख पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है जो पूरे भारत में मनाया जाता है। इस दिन लोग अपनी पूजाओं को समर्पित करते हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं।इस बार वैशाख पूर्णिमा 5 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी.
वैशाख पूर्णिमा के दिन स्नान-दान पुण्य करना बहुत लाभ देता है. इस बार की वैशाख पूर्णिमा तो विशेष तौर पर खास है क्योंकि 130 साल बाद इस दिन एक दुर्लभ संयोग बन रहा है. दरअसल, इस बार वैशाख पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लग रहा है. इस बार वैशाख पूर्णिमा पर 130 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है. इस संयोग के चलते शुभ मुहूर्त में पूजा, उपाय करना बहुत लाभ देगा.
वैशाख पूर्णिमा का महत्व
वैशाख पूर्णिमा को संस्कृत में 'बुद्ध पूर्णिमा' भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। इसके अलावा, यह दिन गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के दिन भी मनाया जाता है।
इस दिन लोग भगवान बुद्ध की पूजा करते हैं और उनके जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों को याद करते हैं।इस दिन के अलावा, वैशाख पूर्णिमा को भारत में बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन लोग धन, समृद्धि, स्वस्थ्य और सुख की कामना करते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना चाहिए. साथ ही इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा करना चाहिए. पीपल के पेड़ की पूजा करना चाहिए. साथ ही पीपल के पेड़ के नीचे देसी घी के 5 दीपक जलाएं. ऐसा करना आपकी मनोकामनाएं पूरी करेगा
वैदिक पंचांग के मुताबिक वैशाख पूर्णिमा तिथि 4 मई को रात 11 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 5 मई को रात 11 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी. लेकिन पूर्णिमा तिथि चंद्रोदय से मानी जाती है इसलिए 5 मई को वैशाख पूर्णिमा मनाई जाएगी.
वैशाख पूर्णिमा को चंद्रोदय शाम 05 बजकर 58 मिनट पर होगा. इस शाम चंद्रमा को अर्घ्य दे सकते हैं.स्नान के लिए शुभ मुहूर्त 5 मई की सुबह 4 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 4 बजकर 55 मिनट तक रहेगा. 5 मई की रात को ही करीब 8 बजे से चंद्र ग्रहण शुरू होगा, जो देर रात 1 बजे तक चलेगा.
पूजा का समय
वैशाख पूर्णिमा के दिन, पूजा करना भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। पूजा के लिए सही समय का चयन करना भी जरूरी होता है।
समाप्ति
वैशाख पूर्णिमा के दिन, लोग अपने प्रियजनों के साथ समय बिताकर धार्मिक और सामाजिक कार्यों में भी भाग लेते हैं। इस दिन को सही समय पर मनाकर, हम सभी अपने जीवन में समृद्धि, सुख और समानता के साथ आगे बढ़ सकते हैं।