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वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के टॉयलेट को भी काफी महत्वपूर्ण माना गया है और यह घर की ऊर्जा को प्रभावित करता है. ठीक वास्तु शास्त्र होने पर घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बना रहता है जबकि गलत वास्तु होने पर नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है. ऐसे में घर का टॉयलेट अगर गलत दिशा में बना है तो इसका प्रभाव घर के सदस्यों पर पड़ता है जो उनको भावात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य रूप से कमजोर बनाता है.
यह आपके मन को अस्थायीता, तनाव, व्याकुलता और अनुचित विचारों के प्रभाव में रख सकता है।इसलिए, टॉयलेट का सही वास्तु और स्थान चयन करने के लिए वास्तुशास्त्र के मार्गदर्शन का पालन करना उचित होता है। वास्तु के अनुसार टॉयलेट से जुड़े कुछ टिप्स इस प्रकार है
वास्तु शास्त्र में टॉयलेट की स्थान दिशा का विशेष महत्व बताया गया है। उत्तर-पश्चिम दिशा टॉयलेट के लिए सबसे अनुकूल मानी जाती है क्योंकि इसे सौभाग्य समृद्धि और प्रगति के लिए शुभ माना जाता है। इसके बदले में ईशान कोण में टॉयलेट बनवाने पर वास्तु शास्त्र के अनुसार बिल्कुल भी सही नहीं होता है क्योंकि यह दिशा देवताओं की मानी जाती है, इसलिए टॉयलेट की दिशा हमेशा सही होनी चाहिए।टायलेट को सही दिशा में बनाने के लिए उसके स्थान को भी ध्यान से चुना जाना चाहिए। इसे विश्राम क्षेत्र और निजी स्थानों से दूर रखने का प्रयास करना चाहिए ताकि परिवार के सदस्यों को टॉयलेट से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव न हो।
टॉयलेट का रंग बेज,क्रीम और ब्राउन जैसे गहरे न्यूट्रल हो रंग से पेंट होना चाहिए।यह रंग उत्तेजना को कम करते हैं और शांति और सुख का माहौल बनाते हैं।इसके अलावा इन रंगों का उपयोग टॉयलेट की शुद्धता और शांति का अनुभव कराने में भी मदद करते हैं।गहरे रंग जैसे काले और लाल रंग टॉयलेट में बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए इन रंगों का उपयोग घर में तनाव का माहौल उत्पन्न करता है और यह रंग घर में नकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ाते हैं।
शास्त्र के अनुसार बालकनी में टॉयलेट बनाना अच्छा नहीं माना जाता है। बालकनी में आप प्रकृति के संपर्क में लाते हैं और शांति और प्रकृति का आनंद लेते हैं टॉयलेट को बालकनी में बनाने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। इसलिए आप जब भी घर बनवाए तो अपने घर में वास्तु के हिसाब से ही सारी चीजों को बनवाएं क्योंकि वास्तु दोष होने पर घर में सुख शांति सब कुछ छिन जाता है.