विवेक शुक्ला
जो लोग राजधानी के सुपर लक्जरी ओबराय इंटर कॉन्टिनेंटल होटल में आते-जाते हैं, वे उस शख्स को होटल के गेट के बाहर खड़े सुरक्षा कर्मियों से पंजाबी में बतियाते हुए देखते थे। सूट-बूट पहने वह शख्स सुरक्षाकर्मियों से बतियाता और कुछ समझा कर अपनी मर्सडीज कार में निकल जाता। उस बुलंद शख्स का नाम था पृथ्वीराज सिंह ओबराय ( पीआरएस ओबराय)। भारत में एक से बढ़कर एक लक्जरी होटल खड़े करने वाले पीआरएस ओबराय का मंगलवार को अपने 70 एकड़ में फैले दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के कापसहेड़ा फार्म हाउस में निधन हो गया। वे 94 साल के थे। उन्हें अधिकतर लोग बिक्की ओबराय भी कहते थे।
करो-कहो गेस्ट को नमस्कार
बिक्की ओबराय को जानने वाले जानते हैं कि वे अपने होटल के सुरक्षा कर्मियों को बताते थे कि किस तरह से होटल में आने वाले गेस्ट को नमस्कार करना और कहना है। उनकी इसी सोच के चलते सभी ओबराय होटलों में आने वाले गेस्ट का होटल स्टाफ नमस्कार करके स्वागत करता है। उनका मानना थाकि नमस्कार भारत की पहचान है। जब कोई ओबराय होटल में आए तो उसे पता चले कि इस होटल का संबंध भारत से है।
ओबराय होटल के नीचे क्या
बिक्की ओबराय की देखरेख में ही राजधानी का ओबराय इंटरकांटिनेंटल होटल बना। उन्होंने अपने पिता सरदार मोहन सिंह ओबराय को यह बात समझाई कि वे दिल्ली में एक होटल और खोलें। हालांकि तब तक ओबराय ग्रुप का शामनाथ मार्ग पर ओबराय मेडिंस होटल चल रहा था। यह 1960 के आसापस की बात है। तब दिल्ली में लक्जरी होटल के नाम पर अशोक होटल, इंपीरियल होटल और मेडिस होटल ही थे। खैर, ओबराय ग्रुप को दिल्ली के होटल के लिए जमीन मिली ड़ॉ.जाकिर हुसैन रोड ( पहले वेस्ली रोड) पर। इसका शिलान्यास बिक्की ओबराय की मां ईशर देवी ने किया था। उन्होंने होटल के प्लाट के नीचे सोने के पांच सिक्के गाढ़े थे। बता दें कि ओबराय परिवार सिख है।
भुट्टो के दोस्त को क्या काम दिया
बिक्की ने इसके डिजाइन का काम सौंपा सियासी नेता और आर्किटेक्ट पीलू मोदी को। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के मुंबई के दिनों के मित्र पीलू प्रयोगधर्मी आर्किटेक्ट भी थे। उन्होंने इसका शानदार डिजाइन बनाया। यह 1965 में शुरू हुआ। भारत में लक्जरी होटल की बात होती है, तो ओबराय इंटरकांटिनेंटल होटल का नाम बड़े अदब के साथ लिया जाता है। इसके चाइनीज, स्काईलार्क और मुगल रेस्तरांओं में आसानी से सीट नहीं मिलती। बहरहाल, भारत के तीसरे राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन की शवयात्रा 1969 में ओबराय इंटरकांटिनेंटल होटल के आगे वेस्ली रोड से निकली तो इसका सड़क का नाम आगे चलकर कर डॉ. जाकिर हुसैन मार्ग कर दिया गया।
विधानसभा का चुनाव कौन हारा
बिक्की के पिता डॉ. मोहन सिंह ओबराय ने 1951 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव सिविल लाइंस सीट से आजाद उम्मीदवार के रूप में लड़ा था। वे चुनाव हार गए थे। तब बिक्की ओबराय ने पिता के लिए भरपूर कैंपेन की थी। जरा सोचिए कि अगर बिक्की के पिता चुनाव जीत जाते तो मुमकिन है कि वे सियासत ही करने लगते।
कौन मिलाता था अपनी घड़िया
बिक्की ओबराय टाइम के बड़े पाबंद थे। उनसे लोग अपनी घड़िया मिलाते थे। वे जब दिल्ली में होते तो अपने फार्म हाउस से सुबह साढ़े बजे मर्सडीज कार से ओबराय इंटरकाटिंनेंटल होटल या फिर शाम नाथ मार्ग के ओबराय मेडिंस होटल का रुख कर लेते। करीब 15 साल पहले जब गुरुग्राम में ओबराय ट्राइडेंट खुला तो वे बीच-बीच में वहां पर भी जाने लगा। वेइन तीनों होटलों में जाकर सारी दुनिया के अपने होटलों का हाल-हाल लेते।
बिक्की ओबराय बात-बात पर इंटरव्यू देने से बचते थे। उनका तो काम बोलता था। उन्हें देश ने कायदे से तब जाना जब उनकी सरपरस्ती में उनका मुंबई का ट्राइडेंट होटल का नए सिर से रेनोवेशन हुआ। मुंबई में पाकिस्तानी आतंकियों ने जब 2008 में हमला किया था तब ट्राइडेंट होटल स्वाह हो गया था। वहां पर लाशों के ढेर लग गए थे। बिक्की ओबराय ने फैसला लिया कि वे अपने ट्राइडेंट होटल को शानदार तरीके से फिर खोलेंगे। वे दिल्ली से मुंबई शिफ्ट कर गए। उनकी निगरानी में रेस्तरां, काँफ्रेंस हॉल, रूम सर्विस वगैरह एक साथ शुरू हुए। उन्होंने दिल खोलकर पैसा लगाय़ा। उन्होंने अपने होटल को राख के ढेर से खड़ा किया। पिछले काफी समय से बिक्की ओबराय के पुत्र विक्रमजीत सिंह ओबराय ही अपने ग्रुप के काम को देख रहे हैं। “ बिक्रमजीत को एक शानदार होटल ग्रुप खड़ा करके उनके पिता और दादा न दिया है। उन्हें इसकी इमेज को और उजला करते हुए इसका विस्तार करना होगा,” बिक्की ओबराय के पड़ोसी और फन एंड फूड विलेज के चेयरमेन संतोष चावला कहते हैं।