दिल्ली

मोदी जी शाह जी कब आओगे शाहीन बाग़ कहते कहते सो गया क्या ये मासूम?

Shiv Kumar Mishra
19 Jan 2020 10:19 AM GMT
मोदी जी शाह जी कब आओगे शाहीन बाग़ कहते कहते सो गया क्या ये मासूम?
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नई दिल्ली के शाहीन बाग़ में नागरिकता संसोधन कानून एक्ट लागू होने के बाद लगातार आज कई दिनों से धरना पदर्शन हो रहा है. इस धरने में महिलाओं और बच्चों समेत कई हजार लोग बैठे हुए है जबकि धरना अनवरत लगभग पैंतीस दिन से जारी है.

इस धरने को लेकर शुक्रवार को कुछ छात्र कोर्ट गए और रोड साफ़ करने के लिए गुहार लगाई. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश भी जारी किया. उससे पहले भी कोर्ट दिल्ली प्रसाशन को ये धरना अन्यंत्र स्थापति करने के लिए कह चूका है. पुलिस के कई आला अधिकारी इन धरना पर मौजूद लोंगों और भीड़ से गुहार लगा चुके है लेकिन धरना स्थल पर बैठे लोग टस से मस नहीं हुए. अब इस धरने को देखते हुए यूपी,बिहार, बंगाल समेत कई राज्यों में भी महिलाओं द्वारा धरना देने लगी है.

अब शनिवार को ट्विटर पर ट्रेंड भी कराया गया कि मोदी जी शाहीन बाग़ कब आओगे. क्या पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के आने से धरना सम्पात होगा तो शायद पीएम और गृहमंत्री सोच भी सकते है लेकिन यहाँ तो सरकार के द्वारा लगाये गए कानून को लेकर धरना दिया जा रहा है तो आकर भी क्या करेंगे.

अलीगढ़

इधर यूपी पुलिस को अलीगढ़ में भी दिल्ली के शाहीन बाग जैसे धरने का अंदेशा है. शुक्रवार से फिर महिलाओं के सड़क पर आ जाने से पुलिस को शक है कि उनको फंडिंग कराई जा रही है. खुफिया इनपुट आने के बाद पुलिस प्रशासनिक स्तर से शहर में तगड़े सुरक्षा इंतजाम किए जा रहे हैं. एक तरफ जहां शहर को 25 सेक्टरों में बांटकर मजिस्ट्रेट तैनात कर दिए गए हैं.

वहीं, शहर में आधा दर्जन महिला मजिस्ट्रेट अतिरिक्त तैनात की गई हैं. पान वाली कोठी और जमालपुर इन प्रदर्शनकारियों के निशाने पर है. इसे देखते हुए लोगों को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब तक पूर्व मंत्री ख्वाजा हलीम के बेटे युवा सपा नेता ख्वाजा हसन जिब्रान को नोटिस दिया गया है. इसके अलावा नोटिस देने के लिए इस तरह के एक दर्जन लोगों को चिह्नित कर लिया गया है.

नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सिविल लाइंस इलाके में भी कहीं शाहीन बाग की तर्ज पर महिलाओं का धरना शुरू कराने की कवायद है. शुक्रवार को जमालपुर व दोदपुर में महिलाएं प्रदर्शन करते हुए अचानक सड़कों पर आ गई थीं. अचानक यह प्रदर्शन होने पर जब खुफिया इनपुट जुटाया गया तो पता चला कि शहर के कुछ बड़े नेता व उद्यमी यह धरना कराने के लिए फंडिंग कर रहे हैं.

इसके लिए स्थान जमालपुर या पान वाली कोठी ही चुना गया है. इस इनपुट के आने के बाद जिला पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों ने एक सख्त रुख अपना लिया है। इसी कड़ी में आधा दर्जन महिला अधिकारियों को सर्किल वार सेक्टर मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात किया है. इनमें सीओ सर्किल प्रथम में भूमि संरक्षण अधिकारी डॉ.निधि राठौर, सर्किल द्वितीय में एबीएसए हेमलता, सर्किल तृतीय में एडीआईओएस दीप्ति वार्ष्णेय व डीपीओ स्मिता सिंह को लगाया गया है.

वहीं सर्किल तृतीय के लिए ही धनीपुर व जवां की डीपीओ रजनी शर्मा व कुसुम वर्मा को रिजर्व में रखा गया है. यह अपने अपने क्षेत्र के सर्किल अफसर व थाना प्रभारियों से कोआर्डिनेट कर कहीं भी होने वाले महिलाओं के प्रदर्शन को रोकने की दिशा में काम करेंगी. इसके अलावा शहर में सेक्टर स्कीम लागू कर दी गई है.

लखनऊ

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के विरोध में पुराने लखनऊ में महिलाओं का प्रदर्शन कड़ाके की ठंड के बावजूद रविवार को तीसरे दिन भी जारी है. खुले आसमान के नीचे पिछले शुक्रवार से बड़ी संख्या में महिलाएं दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर पुराने लखनऊ स्थित घंटाघर के सामने प्रदर्शन कर रही हैं। उनके साथ बच्चे भी हैं. महिलाएं जमकर नारेबाजी कर रही हैं. देर रात प्रदर्शन में मुनव्वर राना की नातिन बीमार हो गई है. गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया. शाम तक और भीड़ बढ़ने की उम्मीद. वहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं का आरोप है कि रात में पुलिस ने कड़ाके की ठंड में कंबल छीन लिए गए और पानी डाला गया. महिलाओं ने कहा कि पुलिस प्रदर्शन को खत्म कराना चाहती है.

इन महिलाओं का कहना है कि सरकार जब तक सीएए और एनआरसी को वापस नहीं लेती है, तब तक वे धरना समाप्त नहीं करेंगी. महिलाओं के धरने को सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों का भी समर्थन मिल रहा है. सिख समुदाय के कुछ लोगों ने शनिवार रात धरना स्थल पर पहुंचकर महिलाओं को खाने पीने का सामान दिया. उन्होंने कहा कि सीएए के दायरे से जिस तरह से मुसलमानों को बाहर रखा गया है, वह देश की गंगा जमुनी तहजीब के खिलाफ है, लिहाजा वे धरने पर बैठीं इन महिलाओं का समर्थन करते हैं.

बता दें कि इस तरह सरकार के द्वारा लागू कानून पर जनता को पूरा पढ़कर आगे का निर्णय लेना चाहिए क्योंकि बिना जानकारी देश में रहकर विरोढ करना भी गलत होगा. हालांकि इसके लिए सरकार अपने मंत्रियों द्वारा सभी जगह रैली और मीटिंग कर जानकारी दे रही है.

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