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जितेंद्र कुमार
आज स्वराज अभियान के बैनर तले प्रशांत भूषण के समर्थन में 'हम देखेंगे' कार्यक्रम का संचालन योगेन्द्र यादव कर रहे थे. जब राजनेताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट के इस कार्यवाई की आलोचना की गई तो इस बयान पर हस्ताक्षर करनेवाले सभी लोगों के नाम योगेन्द्र यादव ने नहीं लिए. शायद यह जरूरी भी था क्योंकि अनेक राजनेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया है.
लेकिन इसमें मार्के की बात यह है कि योगेन्द्र यादव ने इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले पहले राजनेता दिग्विजय सिंह का नाम लिया, सीताराम येचुरी का नाम लिया, डी राजा का नाम लिया, यहां तक कि पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिंहा का भी नाम लिया लेकिन सीरियल नंबर दो पर हस्ताक्षर करनेवाले शरद यादव का नाम नहीं लिया!
क्या आपको लगता है कि योगेन्द्र यादव से यह भूल से हो गया. नहीं, योगेन्द्र यादव ने जानबूझकर शरद यादव का नाम नहीं लिया होगा क्योंकि उनके नाम के आगे भी यादव लगा हुआ है. योगेन्द्र यादव बहुत ही सोच समझकर इस तरह का काम करते हैं या फिर वह जातीय हीनता से इतने ग्रसित हैं कि यह काम उन्होंने जानबूझकर किया होगा. उस लिस्ट में मौजूद जिन लोगों के नाम योगेन्द्र यादव ने लिए उनसे शरद यादव ने कम भूमिका निभाई है क्या, यह सवाल तो योगेन्द्र यादव से पूछा ही जाना चाहिए. अगर उनके मन में यह बात है कि शरद यादव पथभ्रष्ट हैं तो फिर उनका यशवंत सिंहा के बारे में क्या कहना है?
योगेन्द्र जी, अगर परिवर्तन की राजनीति कर रहे हैं तो उसमें बड़ा बनना होता है-तिकड़मी नहीं और माफ कीजिए, आप उससे कभी बाज नहीं आते हैं. देश बड़े संकट में है, इसमें मोदी सरकार के खिलाफ कोई एक कदम भी चलना चाहता है तो उन्हें साथ लीजिए. हीन भावना मत पालिए, तिकड़म मत कीजिए.