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कोरोना फैलने का असली दोषी कौन, केजरीवाल या मुसलमान?
- मीडिया और सोशल मीडिया ने मिलकर बना दिया इसे मोदी का असली मास्टरस्ट्रोक
- जबकि देश के लिए नोटबंदी की ही तरह लॉक डाउन भी बन सकता है डिजास्टर स्ट्रोक
- जनवरी से मार्च तक कोरोना के प्रसार पर सोती रही मोदी सरकार, जागते ही बिना तैयारी के कर डाला लॉक डाउन...
- कोरोना फैलने की दशा में स्वास्थ्य सुविधाओं को जुटाने की भी नहीं की कोई पूर्व तैयारी
- आननफानन हुए लॉक डाउन से होने लगे पलायन से जुटी लाखों की भीड़ और उनके यहां वहां जाने से भी बढ़ गया है कोरोना का खतरा
- लिहाजा देशभर से हुए पलायन के लिए दिल्ली और केजरीवाल को बनाया पहला बलि का बकरा
- फिर कोरोना जेहाद का नाम देकर मुस्लिमों को भी ठहराने लगे दोषी
मीडिया और सोशल मीडिया के जरिये पहले तो पलायन के जरिये कोरोना फैलाने की केजरीवाल की साजिश का खुलासा हुआ, फिर उन्हीं दोनों की मदद से जमात मरकज के जरिये कोरोना जेहाद का खुलासा भी हो गया...मास्टर आदमी हैं अपने मोदी जी...असली मास्टरस्ट्रोक तो ये हैं। उनके समर्थक दुनिया को बताते हैं कि नोटबंदी और लॉक डाउन उनके मास्टरस्ट्रोक हैं...जबकि असली मास्टरस्ट्रोक वह कहीं और ही खेल जाते हैं।
ये मास्टरस्ट्रोक कैसे हैं, इसके लिए पहले क्रोनोलॉजी समझिए...जनवरी से कोरोना का भारत में आगमन हुआ। मोदी जी सोते रहे। उसी वक्त विदेश से आने वालों को आइसोलेशन में डालने और एयरपोर्ट पर जांच का इंतजाम शुरू हो जाना था, कुछ नहीं हुआ। उल्टा ट्रम्प को बुलाया गया, लाखों का मजमा जुटाया गया, लाखों की तादाद में NRI भी आये। सभी धर्मों के जुटान कार्यक्रम, मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा, मेला, बाजार, राजनीतिक कार्यक्रम....यह सब कुछ बड़े ही आराम से चलता रहा मार्च के मध्य तक।
फिर अचानक एक दिन मोदी जी को बोध हुआ कि देश में कोरोना न फैल जाए। बस उसी दिन हुए बोध के तुरंत बाद पहले एक दिन का जनता कर्फ़्यू लगाया, फिर उसे 21 दिन के लॉक डाउन में बदल दिया। विदेश से आने जाने वाली फ्लाइट ही नहीं, पूरा देश ही ठप कर दिया अचानक। लोगों को इस लॉक डाउन के दौरान जरूरी सामान कैसे मिलेंगे, न इसकी कोई तैयारी, न गरीब गुरबा के पेट या देश की अन्य आर्थिक/ दैनिक जरूरतों पर कोई प्लान ऑफ एक्शन... बस सीधा लॉक डाउन कर दिया।
जाहिर है, लॉक डाउन होते ही ये सारे सवाल तो मोदी जी से पूछे भी जाने लगे, साथ ही यह भी पूछा जाने लगा कि इस लॉक डाउन के बावजूद अगर कोरोना फैला या जनवरी से ही हुई लापरवाही के चलते पहले ही फैल चुका होगा तो क्या देश में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं हैं? फिर कोढ़ में खाज यह भी हो गया कि देशभर से पलायन होने लगे। यानी कुल मिलाकर नोदबंदी के बाद मोदी जी का एक और मास्टरस्ट्रोक डिजास्टर स्ट्रोक में बदल गया। लॉक डाउन का पर्पज फेल होने लगा।
चूंकि पलायन देशभर से होने लगा तो कोरोना कहाँ से कहाँ फैल गया, कितनों में फैल गया, यह तो पता करना तभी सम्भव था, जब जांच किट इतनी बड़ी तादाद में होतीं। देश में न तो जांच किट का इतंजाम था और न कहीं देसी-विदेशी पलायन यानी विदेश से अथवा देश में हर तरफ से अपने अपने घरों को लौटने वाले लोगों के लिए आइसोलेशन सेन्टर थे।
जबकि देखा जाए तो साफ है कि कोरोना का प्रसार जनवरी से ही शुरू हो चुका था। फिर भी उसे मार्च तक पूरे देश में फैलने दिया गया...फिर उसे रोकने के लिए बिना तैयारी के लॉक डाउन किया भी तो उससे और पैनिक फैल गया, लाखों लोग सड़कों पर पलायन के लिए देशभर में जुट गए तो कोरोना के प्रसार की रही सही कसर भी पूरी हो गई।
गुजरात में तो हजारों आदमियों पर आंसू गैस और लाठीचार्ज का भी इस्तेमाल करना पड़ा। देश का कोई बड़ा महानगर, कोई औद्योगिक शहर या केंद्र, कोई राज्य ऐसा नहीं है, जहां से पलायन न हो रहा है मगर पलायन केवल दिल्ली का ही निशाने पर रहा।
ऐसा इसलिए क्योंकि अगर मोदी सरकार की एक के बाद एक गलतियों से देशभर में फैलकर कहीं कोरोना विकराल स्वरूप धारण भी कर ले तो पहला बलि का बकरा केजरीवाल को बनाकर कोरोना के प्रसार का सारा ठीकरा उसी पर फोड़ दिया जाए।
फिर मीडिया और सोशल मीडिया के जरिये दूसरा बकरा तलाशकर मुस्लिम संगठनों और मुस्लिम जनता के जरिये कोरोना फैलाने की साजिश का खुलासा करके इसे जेहाद का नाम भी दे दिया गया।
अब कोरोना चाहे जितना फैले, मोदी जी और उनके समर्थकों को चिंता नहीं है। क्योंकि कोरोना के फैलने में मोदी जी की गलती अब कोई ढूंढ ही नहीं पायेगा। अब दोनों मास्टरस्ट्रोक के जरिये यह बहुत अच्छी तरीके से स्थापित हो ही चुका है कि भारत में कोरोना फैलाने का सारा जिम्मा केजरीवाल और जेहादी ताकतों का है। मोदी जी तो देश को कोरोना से बचा रहे हैं। इसी लिए केजरीवाल और जेहादी ताकतों से लड़ रहे हैं।
जनवरी से मार्च में हुए लॉक डाउन तक मोदी जी ने क्या क्या गलतियां ऐसी कीं, जिससे कोरोना फैला होगा या बिना तैयारी के आननफानन में लॉक डाउन करने से हुए पलायन से कितना कोरोना कहाँ कहाँ फैला होगा या कोरोना फैलने की दशा में बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते जांच, आइसोलेशन न कर पाने, डॉक्टरों को सुरक्षा सूट न दे पाने से कितना कोरोना फैला होगा या अचानक लॉक डाउन की घोषणा से हुई अफरातफरी के बाद जमाखोरी के लिये जुटी भीड़ से कितना कोरोना फैला होगा...ये सब सवाल अब बेमानी हैं।
केजरीवाल ने जेहादी ताकतों के साथ मिलकर कोरोना फैलाया, यही मास्टरस्ट्रोक है...मीडिया और सोशल मीडिया के जरिये कैसे इस तरह के मास्टरस्ट्रोक खेले जाते हैं, यह विपक्ष को भी मोदी जी से ही सीखना चाहिए.......