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तो इन बड़ी वजहों के वजह से नहीं सका हाथ के साथ झाड़ू!
संदीप कुमार
दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन की राह रोकने में एक नहीं, अनेक गतिरोध अहम रहे हैं। AAP द्वारा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित को भरोसे में न लेना भी एक बड़ी वजह रही है। एक अन्य महत्वपूर्ण कारक यह भी रहा कि AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल को कांग्रेस के नेता बिल्कुल भी भरोसेमंद नहीं मानते।
15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित पार्टी में एक बड़ा कद रखती हैं। प्रदेश की कमान संभालने के बाद प्रदेश स्तरीय कोई भी फैसला उनकी सहमति के बगैर नहीं लिया जा सकता। वहीं, आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली में गठबंधन को लेकर जो भी और जितनी बार भी बात की गई, वह अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के नेताओं से की गई। ऐसे में शीला के अहम को चोट लगना स्वाभाविक था। हाल ही में उन्होंने एक बयान में यह साफ कहा भी था कि केजरीवाल एकदम झूठे हैं। मुझसे किसी ने कोई बात नहीं की है।
इतना ही नहीं, पिछले दिनों विधानसभा सत्र में रखे गए पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने संबंधी प्रस्ताव ने भी कांग्रेस नेताओं को गठबंधन के खिलाफ बड़ा मुद्दा दे दिया। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ दिल्ली कांग्रेस के नेताओं की बैठक में मंगलवार को यह मुद्दा भी उठा कि जो पार्टी हमारे पूर्व प्रधानमंत्री से भारत रत्न वापस लेने की मांग करती हो, उसके साथ गठबंधन कैसे किया जा सकता है!
- गठबंधन नहीं करने के पीछे एक तर्क यह भी दिया गया कि दिल्ली का मतदाता हमेशा एकतरफा वोट करता है। अगर वह कांग्रेस से नाराज है तो AAP और कांग्रेस के गठबंधन से उसकी नाराजगी खत्म नहीं हो जाएगी। कांग्रेस नेता केजरीवाल पर भरोसा करने को भी तैयार नहीं है।
- वर्ष 2013 में सरकार बनाने में केजरीवाल की मदद करने वाले कांग्रेस नेताओं ने बैठक में भी कहा कि केजरीवाल अपनी किसी बात पर कायम नहीं रहते। दिल्ली में पार्टी की घटती विश्वसनीयता और गिरते ग्राफ का तर्क भी दिया गया.
-राहुल गांधी के सामने एक तर्क यह भी दिया गया कि मुस्लिम मतदाता जो पहले आप की तरफ खिसक गया था, अब वापस कांग्रेस की ओर लौट रहा है। पार्टी आलाकमान को यह भी समझाया गया कि केजरीवाल को ही गठबंधन करने की इतनी गरज क्यों है। केजरीवाल अपनी पार्टी का अस्तित्व बचाने के लिए कांग्रेस को एक बार फिर से यूज करना चाहते हैं।