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लातूर में पहली बार गणेश प्रतिमाओं का नहीं हुआ जल में विसर्जन, ये है बड़ी वजह
महाराष्ट्र के लातूर जिले में गंभीर जल संकट के चलते गुरुवार को गणेश भगवान की प्रतिमाएं विसर्जित नहीं की गईं। स्थानीय निकाय अधिकारी और सामाजिक संस्थाओं के स्वयंसेवी शहर में विसर्जन स्थानों पर मुस्तैद थे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी व्यक्ति प्रतिमाओं को उन स्थानों पर विसर्जित नहीं कर सकें जहां आमतौर पर विसर्जन किया जाता था। जिला प्रशासन ने पानी की कमी के कारण इस साल 10 हजार से अधिक गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं करने का निर्णय लिया। नगर निगम ने इन प्रतिमाओं को मंदिरों में रखने की व्यवस्था की है। 126 साल में यह पहली बार है जब महाराष्ट्र के किसी जिले में गणेश प्रतिमाओं का विसर्जन जल में नहीं किया गया है।
जिलाधिकारी जी. श्रीकांत के मुताबिक प्रतिमा विसर्जन न करने का फैसला जनजागरुकता की वजह से लिया गया। गणेश मंडलों की बैठक के बाद ही यह निर्णय लिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि यह फैसला केवल पानी की कमी की वजह से नहीं लिया गया। बड़े गणेश मंडल एक ही प्रतिमा को तीन से चार साल तक दोबारा स्थापित कर रहे हैं। यह गणेश मंडलों का सामूहिक निर्णय है। उन्होंने कहा कि यदि प्रतिमाओं को दोबारा स्थापित या इनका पुनर्चक्रण किया जाता है तो यह जल संकट का सामना करने का अच्छा उपाय होगा।
राज्य कि राजधानी मुंबई से 500 किमी. की दूरी पर स्थित लातूर सूखे के चलते हमेशा सुर्खियों में रहता है। इस वर्ष लातूर में औसतन 45 प्रतिशत बारिश हुई है। उल्लेखनीय है कि बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में वर्ष 1893 में समाज में समरसता की भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रतिमा स्थापना पर बल दिया था।
सुखे के कारण महाराष्ट्र के लातूर शहर में तीन साल पहले ट्रेन से पानी भेजने की नौबत आई थी. शायद महाराष्ट्र का यह पहला ही शहर होगा जहां ट्रेन से पानी मुहैया करना पडा था. 2016 को सांगली के मिरज शहर से ट्रेन से पानी लाया गया था. इस ट्रेन ने मिरज से लातूर 111 दिन लातूर को पानी पहुंचाया था