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Ganpati Visarjan 2019: आज है अनंत चतुर्दशी-गणेश विसर्जन भी आज, जानें- शुभ मुहूर्त तिथि और जरूरी नियम
गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी का आगमन होता है और अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा भक्तों से विदा होकर अपने लोक लौट जाते हैं। इस तरह हर साल गणेश उत्सव 10 दिनों का होता है। आज अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा से विदा ली जाती है और देश भर में उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। हालांकि कुछ लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार, जो 10 दिनों तक विधि विधान से गणेशजी की पूजा कर पाने में असमर्थ होते हैं, वह बीच में भी गणपति विसर्जन कर लेते हैं। लोग अपनी श्रद्धा और क्षमता के अनुसार डेढ़ दिन, 4 दिन, 5दिन, 7दिन या 11वें दिन बप्पा का विसर्जन करते हैं।
गणपति विसर्जन के नियम
विसर्जन के नियम है कि जल में देवी-देवताओं की प्रतिमा को डुबोया जाता है। इसके लिए श्रद्धालु नदी, तालाब, कुंड, सागर में प्रतिमा को विसर्जित कर सकते हैं। महानगरों में जहां नदी, तालाब तक जाना कठिन होता है वहां लोग जमीन खोदकर उसमें जल भरकर प्रतिमा को विसर्जित कर लेते हैं। अगर आपके पास छोटी प्रतिमा है तो घर के किसी बड़े बर्तन में भी प्रतिमा विसर्जित कर सकते हैं। बस ध्यान रखना चाहिए कि इस जल में पैर न लगे। इस जल को गमले में भी डाल सकते हैं।
देवी-देवताओं का विसर्जन क्यों
वेदों में कहा गया है कि सभी देवी-देवता मंत्रों से बंधे हैं उन्हें मंत्रों के द्वारा अपने लोक से बुलाया जाता है। जिन प्रतिमा को स्थापित करके मंत्रों द्वारा उनमें प्राण प्रतिष्ठा डाली जाती है वही प्रतिमा देव रूप होती है और उन्हीं का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के समय देवी लक्ष्मी और सरस्वती के अलावा सभी देवी-देवताओं से कहा जाता हैः- देवता का नाम लेकर, क्षमस्व स्वस्थानम् गच्छ।
मतलब आप अब अपने स्थान पर जाएं। देवी लक्ष्मी और सरस्वती को विदा नहीं किया जाता है इसलिए इनके लिए कहा जाता हैः-
ओम सांग-सवाहन-सपरिवार भूर्भुवःस्वः श्रीसरस्वती पूजितोसि प्रसीद प्रसन्ना- "मयि रमस्व।
अगर लक्ष्मी माता की पूजा कर रहे हों तो इस मंत्र में सरस्वती की जगह लक्ष्मी बोलना होता है। यानी आप प्रसन्न हों और हमारे घर में विराजमान रहें।
विसर्जन के पीछे जीवन-मृत्यु का रहस्य
विसर्जन का नियम इसलिए है कि मनुष्य यह समझ ले कि संसार एक चक्र के रूप में चलता है भूमि पर जिसमें भी प्राण आया है वह प्राणी अपने स्थान को फिर लौटकर जाएगा और फिर समय आने पर पृथ्वी पर लौट आएगा। विसर्जन का अर्थ है मोह से मुक्ति, आपके अंदर जो मोह है उसे विसर्जित कर दीजिए। आप बप्पा की मूर्ति को बहुत प्रेम से घर लाते हैं उनकी छवि से मोहित होते हैं लेकिन उन्हें जाना होता है इसलिए मोह को उनके साथ विदा कर दीजिए और प्रार्थना कीजिए कि बप्पा फिर लौटकर आएं, इसलिए कहते हैं गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ।
गणपति बप्पा विसर्जन के नियम-
किसी भी देवी-देवता के विसर्जन की तरह गणपति के विसर्जन का भी नियम हैः
--विसर्जन से पहले गणपति की पूजा करें।
-गणेशजी को मोदक, मिठाई का भोग लगाएं।
-गणपति को विदाई के लिए वस्त्र पहनाएं।
-एक कपड़े में सुपारी, दूर्वा, मिठाई और कुछ पैसे रखकर उसे गणपति के साथ बांध दें।
-विदाई से पहले गणेशजी की आरती करें और जयकारे लगाएं।
-गणेशजी से क्षमा प्रार्थना करके भूल-चूक के लिए क्षमा मांगे।
-पूजा सामग्री और हवन सामग्री जो कुछ भी हो उसे गणेशजी के साथ जल में विसर्जित कर दें।
इसलिए गणेश भगवान कहलाते हैं बप्पा और मोरया
गणपति विसर्जन मुहूर्त २०१९
12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गुरुवार है। इस दिन वैसे तो पूरे दिन को शुभ माना जाता है आप अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी प्रतिमा का विसर्जन कर सकते हैं। वैसे सुबह 6 बजे से 7 बजे, 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट और 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक अशुभ समय है। इस समय को छोड़कर आप किसी भी समय बप्पा की मूर्ति का विसर्जन कर सकते हैं।