- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- धर्म समाचार
- /
- पितृ पक्ष के दौरान...
पितृ पक्ष के दौरान गर्भवती महिलाएं ये काम न करें, नही तो हो सकता बड़ा नुकसान
नई दिल्ली। हिंदू धर्म के अनुसार शास्त्रों में अनेक मान्यताएं वर्णित है। और उसका पालन करने पर बुरा परिणाम भुगतना पड़ता है। पुराणों और उपनिषदों में कहा में कहा गया है कि गर्भधारण से लेकर मृत्योपरांत कर कई तरह के संस्कार किए जाते हैं. ऐसे में व्यक्ति के मरने के बाद भी कुछ ऐसे कर्म होते हैं जिन्हें मृतक संबंधी विशेष तौर पर संतान को किया जाता है. इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 13 सितंबर से हो रही है. इस दौरान पितरों का तर्पण और श्राद्ध किया जाता है. कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों के साथ बुरी आत्माएं भी आता हैं जिनका गलत प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर पड़ सकता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है।
पितृ पक्ष पर गर्भवती महिलाएं क्या न करें -
पितृ पक्ष पर गर्भवती महिलाएं किसी एकांत जगह या जंगल की ओर भूलकर भी ना जाएं. अगर वहां जाना जरूरी है तो किसी व्यक्ति को अपने साथ रखें. क्योंकि ऐसी जगहों पर नकारात्मक शक्तियों का प्रवास कहा गया है, जो गर्भवती महिला और उसके होने वाले शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है. साथ ही महिलाएं किसी भी प्रकार के इत्र या श्रृंगार का इस्तेमाल न करें. ऐसा करने से शिशु को परेशानी हो सकती है.
पितृ पक्ष के दौरान भूलकर भी किसी बुजुर्ग का मन न दुखाएं, ऐसा करने से आपके पितर आपसे नाराज हो सकते हैं और आपको दंडित भी कर सकते हैं. वहीं इस दौरान किसी भी तरह का मांसाहार का इस्तेमाल न करें, ऐसा करने पितरों को दुख पहुंचता है और बुरी शक्तियों का प्रभाव आपके ऊपर पड़ सकता है।
पितृ पक्ष के दौरान गर्भवती महिलाओं को शमशान घाट के पास से न गुजरें क्योंकि इस समय पितरों के साथ कई बुरी आत्माएं भी पृथ्वी पर आती हैं जिनका गर्भ में पल रहे बच्चे पर गलत प्रभाव पड़ता है. वहीं रात के समय भी भूलकर कहीं न जाएं क्योंकि रात में बुरी शक्तियों का प्रभाव अधिक बढ़ जाता है।
मान्यता है कि अपने पितृों यानी पूर्वजों को प्रसन्न करने के लिए यह समय बहुत ही खास होता है। इन दिनों पितरों की पूजा करने से देवता प्रसन्न होते हैं। शायद यही कारण है कि समाज में बुजुर्गों को सम्मान करने व मरने के बाद श्राद्ध करने की परंपरा है।
बतादे कि ब्रह्म पुराण के अनुसार, पितृ पक्ष में विधि विधान से तर्पण करने से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। यह भी कहा जाता है कि पितृ पक्ष में जो भी अर्पण किया जाता है वह पितरों को मिलता है। पितृ अपना भाग पाकर तृप्त होते हैं और प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। जो लोग श्राद्ध नहीं करते उनके पितरों को मुक्ति नहीं मिलती और फिर पितृ दोष लगता है। पितृ दोष से मुक्ति के लिए पितरों को श्राद्ध या पूजा करना आवश्यक है।