नजरिया

13 साल की लड़की दुनिया से चली गई, जाते-जाते 4 लोगों को दे गई जिंदगी

13 साल की लड़की दुनिया से चली गई, जाते-जाते 4 लोगों को दे गई जिंदगी
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पीजीआईएमईआर की तरफ से जारी बयान के मुताबिक लड़की को बचाने की पूरी कोशिश की गई।

इंसान में इंसानियत होने से वह महान बन जाता है, मनुष्य जन्म लेता है और समय आने पर वो अपना प्राण देता है लेकिन इस मानव जगत में कुछ लोग ऐसे भी होते है जो जन्म तो ले लेते है लेकिन वो जिन्दगी जी नही पाते फिर भी वो लोग ऐसा काम कर जाते है जो एक मिसाल बन के रहा जाता है। ऐसे में 13 वर्षीय लड़की की, जिसका चंडीगढ़ में इलाज चल रहा है। लड़की को 'सेरेब्रल ओडेमा' नाम की बीमारी थी। इसके बाद उसे दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया गया था। लेकिन जब उसने दुनिया को अलविदा कहा तो चार लोगों को नई जिंदगी देकर गई।

बतादें कि मुंबई और चंडीगढ़ के जरूरतमंद रोगियों में उसका, हार्ट, लीवर, किडनी और कॉर्निया ट्रांसप्लांट कर दिया गया। यहां बात हो रही है उस 13 वर्षीय लड़की की, जिसका चंडीगढ़ में इलाज चल रहा है। लड़की को 'सेरेब्रल ओडेमा' नाम की बीमारी थी। इसके बाद उसे दिमागी रूप से मृत घोषित कर दिया गया था। आठ जुलाई को वह अचेत हो गई थी। इसके बाद उसे सेक्टर-16 के सरकारी मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बहरहाल, हालत ज्यादा खराब होने के बाद उसे पीजीआईएमईआर में भर्ती कराया गया था

पीजीआईएमईआर की तरफ से जारी बयान के मुताबिक लड़की को बचाने की पूरी कोशिश की गई। लेकिन सभी प्रयास विफल रहे और उसे नहीं बचाया जा सका। उसे 18 जून को दिमागी तौर पर मृत घोषित कर दिया गया। इसके बाद पीजीआईएमईआर के प्रतिरोपण समन्वयक ने लड़की के पिता से संपर्क किया। उनसे पूछा गया कि क्या वह अंगदान पर विचार कर सकते हैं। लड़की के पिता ने अंगदान की सहमति दे दी।

पीजीआईएमईआर में अतिरिक्त चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर अशोक कुमार ने बताया कि परिवार की सहमति के बाद उसके हृदय, लीवर, किडनी और कोर्निया को सुरक्षित निकाला गया। इसके बाद पीजीआईएमईआर से चंडीगढ़ हवाई अड्डे तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अंगों को विमान से मुंबई भेजा गया। कुमार ने बताया कि शेष अंगों को यहां पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के रोगियों में ट्रांसप्लांट कर दिया गया।



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