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जनता और मंहगाई से जुड़े मुद्दे पर कांग्रेस इतनी असंवेदनशील कैसे हो गयी?
संजय तिवारी मणिभद्र
सच बताऊं तो मुझे स्वयं किसी कांग्रेसी मुख्यमंत्री से इतनी कमीनगी और बेहयाई की उम्मीद न थी। मैं ये मानता हूं कि जनता से जुड़े मामलों में कांग्रेस बीजेपी से बेहतर संवेदना रखती है। लेकिन डीजल पेट्रोल पर ताजा एक्साइलज ड्यूटी कटौती के बाद कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बहुत बेहयाई और बेशर्मी से दिया गया बयान कांग्रेस के प्रति धारणा को ही चोट पहुंचाता है।
यह केन्द्र में कांग्रेस की ही सरकार थी जिसने मंहगे क्रूड आयल के बाद भी डीजल पेट्रोल की कीमतों को स्थिर रखा। इसका सरकार की योजनाओं पर असर हुआ लेकिन कांग्रेस की नीति थी कि जनता पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ना चाहिए।
लेकिन देखिए उन्हीं का मुख्यमंत्री कितनी बेहयाई से कह रहा है कि केन्द्र ने जो कर कटौती किया है उसमें हमारा वैट भी अठन्नी चवन्नी कम हो गया। जनता इसे ही कटौती मान ले। बेशर्मी की पराकाष्ठा है ये। ऊपर से कोढ में खाज ये कि पीएम को चिट्ठी लिखकर कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार करो में और कटौती कर दे तो उनका अठन्नी चवन्नी और कम हो जाएगा।
यह उस राज्य का मुख्यमंत्री है जहां पेट्रोल पर 30 रुपये वैट वसूला जाता है। इसकी सोच ये है कि केन्द्र सरकार 33 रूपये टैक्स ले तो लूट है और वो 30 रूपये टैक्स ले तो विकास है। इनका एक कोई मंत्री है खाचरियावास। वो तो एक कदम और आगे निकल गया है। कह रहा है केन्द्र पूरा टैक्स हटा दे तो हम भी पूरा टैक्स हटा देंगे।
मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि जनता और मंहगाई से जुड़े मुद्दे पर कांग्रेस इतनी असंवेदनशील कैसे हो गयी? यही तो उसकी थाती है। ये भी खो देंगे तो बचेंगे कैसे?
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