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
हम हमेशा से सुनते-पढ़ते चले आ रहे हैं, कि जीवन में कल्याण के मार्ग में क्रोध, सबसे बड़ी बाधा हैं. इन्हें छोड़ने पर ही जीवन के परम आनंद की प्राप्ति हो सकती है, जो मनुष्य जीवन का लक्ष्य है. लगभग सभी धर्मों के ग्रंथों में मानव के इन भावों की बहुत निन्दा करते हुए मनुष्य को इन्हें त्यागने की ज़रूरत बतायी गयी है।
सही समय पर क्रोध करना बहुत आवश्यक है. यदि कोई आपके घर में घुसकर आपके परिवार को प्रताड़ित करने लगे और उन्हें अपशब्द कहने लगे, तो आपको क्रोध करना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है. क्रोध का आवेश नहीं आएगा, तो आप उस आततायी से परिवार की रक्षा कैसे कर पाएँगे. हाँ, इतना ज़रूर है कि प्रसंग समाप्त हो जाने पर आप पूरी तरह सामान्य हो जाएँ।
क्रोध मनुष्य को अनेक रूपों में सताता है। द्वेष, ईर्ष्या, बदले की भावना, रुष्ट होना, हिंसा, वैर, विरोध की भावना ये सभी क्रोध के ही भिन्न भिन्न रूप हैं। देखा गया है कि प्रायः मतभेद से तंग आकर भी मनुष्य को क्रोध आ जाता है जब दूसरे मनुष्य किसी के विचारो से सहमत नही होते तो उन्हें क्रोध का बुखार चढ़ने लगता है।
सच में, क्रोध एक तूफान हैं।कहते हैं किसी को बिना किसी हथियार के समाप्त करना हो, तो उसे क्रोध करना सिखा दो। वह इस प्रकार ख़त्म होगा जैसे स्लो पाइजन लेने वाला धीरे-धीरे रोज मरता हैं। *विशेषज्ञों के अनुसार क्रोध के दौरे से मस्तिष्क की शक्ति का हास हो जाता है।
एक बार क्रोध करने से हम 6 घंटे कार्य करने की क्षमता को खो देते हैं। यहाँ तक की अनेकानेक भयंकर बीमारियो की चपेट में भी आ सकते हैं। क्रोध के कारण नस-नाडियो में विष की लहर सी दौड़ जाती हैं।एक नहीं ऐसी अनेको घटनाएँ दर्ज़ हैं।जहाँ एक माँ ने क्रोधावेश में जब शिशु को अपना दूध पिलाया तो शिशु की मृत्यु हो गई।क्योंकि वह दूध क्रोध के कारण जहरीला हो गया था। मोटे तौर पर कहे तो, 10 मिनट गुस्सा करके आप न केवल अपनी 600 सेकन्ड की खुशियाँ खो बैठते है।
एक साँप, एक बढ़ई की औजारों वाली बोरी में घुस गया। घुसते समय, बोरी में रखी हुई बढ़ई की आरी उसके शरीर में चुभ गई और उसमें घाव हो गया, जिस से उसे दर्द होने लगा और वह विचलित हो उठा। गुस्से में उसने, उस आरी को अपने दोनों जबड़ों में जोर से दबा दिया। अब उसके मुख में भी घाव हो गया और खून निकलने लगा।
अब इस दर्द से परेशान हो कर, उस आरी को सबक सिखाने के लिए, अपने पूरे शरीर को उस साँप ने उस आरी के ऊपर लपेट लिया और पूरी ताकत के साथ उसको जकड़ लिया। इस से उस साँप का सारा शरीर जगह जगह से कट गया और वह मर गया। ठीक इसी प्रकार कई बार, हम तनिक सा आहत होने पर आवेश में आकर सामने वाले को सबक सिखाने के लिए, अपने आप को अत्यधिक नुकसान पहुंचा देतें हैं।
शिक्षा:- क्रोध से हानि और पछतावे के अतिरिक्त कुछ और प्राप्त नहीं होता। सदैव प्रसन्न रहिये