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Manoj Muntashir Shukla: 'आदिपुरुष' विवाद पर मनोज मुंतशिर शुक्ला ने आखिरकार मांगी माफी, हनुमान जी को लेकर कही बड़ी बात!
Manoj Muntashir Shukla : मनोज मुंतशिर शुक्ला ने आखिरकार माफ़ी मांग ली है। 'आदिपुरुष' के सिनेमाघरों में रिलीज होने के दिन से ही मनोज मुंतशिर को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। ख़राब वीएफएक्स से ज़्यादा, अधिकांश दर्शकों को संवाद बेकार लगे। सोशल मीडिया और साक्षात्कारों में कई स्पष्टीकरणों के बाद, 8 जुलाई को, मनोज मुंतशिर शुक्ला ने सोशल मीडिया का सहारा लिया और दर्शकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए दिल से माफी मांगी।
मनोज मुंतशिर की माफ़ी
'आदिपुरुष' के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को धमकियों और नफरत का सामना करना पड़ रहा है। दर्शकों का एक वर्ग फिल्म के संवादों के सख्त खिलाफ था, इतना ही नहीं इसमें बदलाव भी किया गया। शनिवार को, मनोज ने भावनाओं को आहत करने के लिए माफीनामा पोस्ट किया। उन्होंने ट्वीट किया' मैं स्वीकार करता हूँ कि फ़िल्म आदिपुरुष से जन भावनायें आहत हुईं हैं. अपने सभी भाइयों-बहनों, बड़ों, पूज्य साधु-संतों और श्री राम के भक्तों से, मैं हाथ जोड़ कर, बिना शर्त क्षमा माँगता हूँ.
भगवान बजरंग बली हम सब पर कृपा करें, हमें एक और अटूट रहकर अपने पवित्र सनातन और महान देश की सेवा करने की शक्ति दें!🙏
कैसा है सोशल मीडिया रिएक्शन
लेखक मनोज मुंतशिर को सोशल मीडिया यूजर्स काफी ट्रोल कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, 'पहले तो बड़ा सपोर्ट कर रहा था, अब क्या हुआ, गिरगिट जैसे रंग बदल रहा।' एक दूसरे ने लिखा, 'दोस्तों इसकी बातों में मत आना, काम मिलना बंद हो गया तो तेवर बदल रहे हैं।' एक ने आदिपुरुष के डायलॉग के अंदाज में लिखा, 'ये तेरी बुआ का बगीचा है, जो पहले हमारे धर्म और भगवानों का मजाक उड़ाया और अब माफी मांगने आया है।' मनोज मुंतशिर के लिए कुछ ट्विटर यूदर्स ने भद्दे शब्दों का भी इस्तेमाल किया है। वहीं कुछ यूजर्स ने उनकी इस माफी को सराहा है।
हनुमान भगवान नहीं, भक्त हैं...
याद दिला दें कि फिल्म रिलीज के बाद मनोज ने हर तरह से खुद को सही साबित करने की कोशिश की थी, जिससे विवाद और बढ़ गया था। मनोज ने ये तक कह दिया था कि हनुमान भगवान नहीं, भक्त हैं । वहीं एक दूसरे बयान में उन्होंने कहा था, 'कुछ लोग हैं जो फ़िल्म को आज से नहीं डे-वन से टारगेट कर रहे हैं। हमने कभी फ़िल्म को शुद्धता के पैमाने पर सेल नहीं किया। हमने आज तक ये नहीं बोला कि हम ऐसी फ़िल्म बना रहे हैं जो प्रामाणिक तौर पर उसी भाषा का प्रयोग कर रही है जो भाषा वाल्मिकी ने लिखी थी। अगर मुझे शुद्धता पर जाना था तो फिर मैं अपनी ग़लती मानता हूं क्योंकि तब इसे संस्कृत में लिखना था और तब मैं लिखता ही नहीं क्योंकि मुझे संस्कृत लिखनी नहीं आती।'