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39 की उम्र में की फिल्मों में एंट्री, 10 साल बाद मिला स्टारडम, पढ़ें- क्या थे अमरीश पुरी के शौक?
अमरीश पुरी, फिल्मी जगत का वो नाम है, जिसने अपने दमदार अभिनय से हर किसी के दिल पर राज किया. भारतीय रंगमंच समेत फिल्मी जगत को अमरीश पुरी ने अपनी जिंदगी के 35 साल दिए. जिस फिल्म में भी वो होते, उनके आगे हीरो भी फीका लगता था. उनकी दमदार आवाज और शानदार अभिनय आज भी लोगों को अपना दीवाना बनाता है.
पथरीला चेहरा बता डायरेक्टर ने रोल देने से किया मना
अमरीश पुरी का जन्म देश के बंटवारे से पहले लाहौर में हुआ था. बंटवारे के बाद वो भारत आ गए. यह पढ़ाई करने के साथ-साथ उन्होंने अभिनय भी सीखा. 22 साल के थे, जब उन्होंने एक फिल्म में हीरो के रोल के लिए ऑडिशन दिया था. पर डायरेक्टर ने उन्हें रोल देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनका चेहरा पथरीला है. यह बात साल 1954 की है.
इसके बाद अमरीश पुरी का झुकाव थियेटर की तरफ हुआ. इस बीच वो एक बीमा कंपनी में नौकरी भी करते थे. नौकरी और थियेटर अब दोनों में ही अमरीश पुरी सक्रिय थे. जब उनका मन एक्टिंग में ही लगने लगा तो उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी. थियेटर के दौरान अमरीश पुरी ने सत्यदेव दुबे और गिरीश कर्नाड के साथ कई प्ले किए.
जिस उम्र में इंडस्ट्री से उब जाते थे लोग, तब अमरीश ने रखा कदम
थियेटर करते-करते अब अमरीश पुरी 39 साल के हो गए थे. जिस उम्र में लोग फिल्मी दुनिया को छोड़ देते हैं. उस उम्र में उनकी फिल्मों में एंट्री हुई. उनकी पहली फिल्म थी साल 1970 में आई 'प्रेम पुजारी'. इस फिल्म में उनका कोई बड़ा रोल नहीं था. अगले साल यानी 1971 में उन्हें फिल्म 'रेशमा और शेरा' में काम करने का मौका मिला. इस फिल्म के जरिए इंडस्ट्री अमरीश पुरी को जानने लगी थी. इसके बाद अमरीश पुरी ने एक के बाद एक कई फिल्में कीं.
पर मुंबई में कर्मशियल सिनेमा में उन्हें पहचान 80s में मिली. 1980s में फिल्म आई थी 'हम पांच', जो कि डायरेक्टर बापू की थी. इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, संजीव कुमार, राज बब्बर, शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह, दिप्ती नवल, अनिल कपूर, एके हंगल, अरुणा इरानी जैसे कई नामी सितारे थे. इस फिल्म में एक रोल अमरीश पुरी को भी मिला, जो था दमींदार वीर प्रताप सिंह का.
फिल्म में वो विलेन के रोल में थे. अब यहां से बतौर विलेन अमरीश पुरी को असली पहचान मिली. इसके बाद सुभाष घई की फिल्म 'विधाता' ने जो उन्हें मुकाम दिलाया वो उनकी आखिरी फिल्म तक कायम रहा.
हॉलीवुड डायरेक्टर को कहा- ऑडिशन लेना है तो भारत आओ
अमरीश पुरी ने सन् 1970 से लेकर 2005 तक 400 से भी ज्यादा फिल्मों में अपने दमदार अभिनय से लोगों को प्रभावित किया. उन्होंने कभी एक ही किरदार में रहकर अभिनय नहीं किया. वे हर तरह के किरदार में नजर आए. हालांकि उन्हें फिल्म इंडस्ट्री के सबसे मशहूर विलेन के रूप में ही लोग पहचानते है. अमरीश पुरी जो भी किरदार निभाते उसमें बेहतरीन अभिनय से जान डाल देते थे. कभी भी अमरीश पुरी ने अपने फैन्स को अपनी एक्टिंग से निराश नहीं किया.
किरदार छोटा हो या बड़ा, वो अपने हर किरदार को 100 फीसदी देने पर यकीन रखते थे. वो अपनी जिस रोबीली आवाज के लिए जाने जाते थे वो ऐसे ही नहीं बन गई थी. वो इस पर भी काम करते थे, रोजाना कई घंटों तक रियाज़ करते थे. एटीट्यूड इतना था कि जब इंडियाना जोन्स के लिए हॉलीवुड डायरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग ने इन्हें ऑडिशन के लिए अमेरिका बुलाया तो इन्होंने मना कर दिया. कहा कि अगर ऑडिशन लेना है तो खुद भारत आएं.
जिंदगी भर रहा इस बात का मलाल
हिंदी सिनेमा के सबसे महंगे और कामयाब विलेन होने के बावजूद अमरीश पुरी को जिंदगी भर एक बात का मलाल रहा. इतना शानदार काम करने के बावजूद अमरीश पुरी को कभी बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड या कोई सिविलियन अवॉर्ड नहीं मिला. जबकि आजकल बहुत से एवरेज एक्टर्स भी पद्मश्री लिए बैठे हैं. इस बात का मलाल उन्हें जिंदगी भर रहा.
कुछ अनसुने किस्से…
1. बंटवारे के बाद जब अमरीश पुरी भारत में शिफ्ट हुए तो वो अकेले नहीं आए थे. उनके साथ पाकिस्तान से उनके दोस्त यश चोपड़ा भी भारत आए. यश चोपड़ा फिल्म इंडस्ट्री के शानदार फिल्म मेकर में से एक रहे हैं.
2. उन्होंने 'गांधी' जैसी फिल्में भी अभिनय किया है, जो उनकी सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय फिल्मों में से एक के रूप में जानी जाती है.
3. अमरीश पुरी हिंदी ही नहीं बल्कि तमिल, तेलुगु, मलयालम, पंजाबी, कन्नड़, मराठी और हॉलीवुड फिल्मों में भी काम कर चुके हैं.
4. अमरीश पुरी लोकप्रिय सीरीज इंडियाना जोन्स का एक हिस्सा रहे थे. वो 1984 में Temple of Doom फिल्म में विलेन के रूप में दिखे थे. इसके लिए स्टीवन स्पीलबर्ग ने अमरीश पुरी को बेस्ट विलेन बताया था. अमरीश पुरी के लिए यह प्रशंसा जीवन पर गर्व की बात रही.
5. अमरीश पुरी को हैट का बहुत शौक था. उनके पास करीब 200 हैट थीं, जो कि उन्होंने दुनिया के किसी न किसी कोने से खरीदी थीं.