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अमित शाह के चक्रव्यूह को तोड़ेंगें कांग्रेस के ये पांच नेता
शिव कुमार मिश्र
25 Nov 2017 3:21 PM IST

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पिछले 22 सालों से गुजरात की सत्ता पर काबिज बीजेपी को हराने और अमित शाह के चुनावी चक्रव्यूह को काटने के लिए अबकी बार कांग्रेस ने अपनी पार्टी के पांच क्षेत्रीय क्षत्रपों पर दांव लगाया है. कांग्रेस की पूरी चुनावी रणनीति का ताना-बाना इन्हीं नेताओं ने बुना है. ऐसे में बड़ा सवाल उठता है कि यदि कांग्रेस सत्ता में आती है तो इन सूरमाओं में कौन पार्टी का नेता होगा. इस कड़ी में इन पांचों नेताओं पर एक नजर:
1-भरत सिंह सोलंकी (64)
गुजरात कांग्रेस के प्रमुख हैं. इनके पिता माधव सिंह सोलंकी के 1985 में KHAM फॉर्मूले (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम वोटबैंक) के आधार पर कांग्रेस ने 149 सीटें जीती थीं. 182 सदस्यीय विधानसभा में इस संख्या से बड़ी जीत का रिकॉर्ड अभी तक तोड़ा नहीं जा है. इस रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए ही संभवतया बीजेपी ने इस बार कम से कम 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए भरत सिंह सोलंकी ने इस बार KHAP (क्षत्रिय/ओबीसी, हरिजन, आदिवासी और पटेल) फॉर्मूले की रणनीति को अपनाया है. उसी कड़ी में ओबीसी नेता अल्पेश ठाकुर को पार्टी में विधिवत शामिल किया गया है. पाटीदारों के नेता माने जाने वाले हार्दिक पटेल के साथ कांग्रेस ने डील की है.
इसका आशय यह भी नहीं है कि इस बार कांग्रेस ने मुस्लिमों को पीछे छोड़ दिया है. दरअसल कांग्रेस का मानना है कि सूबे की दो-ध्रुवीय सियासत में मुस्लिम कांग्रेस के ही साथ है. इसलिए इनको अपना परंपरागत वोटबैंक मानते हुए इनके मुद्दों को ज्यादा नहीं उछालने की भी रणनीति अपनाई गई है ताकि विरोधी दल के किसी भी तरह के ध्रुवीकरण के प्रयास को रोका जा सके. भरत सिंह सोलंकी तीन बार एमएलए और दो बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. यूपीए सरकार में पेयजल एवं साफ-सफाई मंत्रालय, रेलवे और ऊर्जा मंत्रालय में राज्यमंत्री रह चुके हैं. 2014 में आणंद से लोकसभा चुनाव हार गए थे. इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.
2- सिद्धार्थ पटेल (63)
दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल के बेटे सिद्धार्थ पटेल कांग्रेस के पाटीदार चेहरों में शुमार हैं. पार्टी के चुनाव अभियान प्रमुख हैं. राज्य में डभोई सीट से चार बार चुनाव लड़ चुके हैं. दो बार जीते हैं और दो बार हारे हैं. इस बार भी इसी सीट से चुनाव लड़ने की उम्मीद है. पिछला विधानसभा चुनाव हार गए थे.
3- अर्जुन मोढ़वाडिया (60)
पेशे से इंजीनियर रहे मोढ़वाडिया 1997 में सियासत में कदम रखा. 2002 में पोरबंदर से बीजेपी के दिग्गज बाबू बोखिरिया को हराया. 2004-07 के दौरान कांग्रेस विधायक दल के नेता रहे. 2011 में गुजरात कांग्रेस के प्रमुख बने. 2012 में कांग्रेस की हार के साथ ही यह पद छोड़ा. पोरबंदर सीट से भी हार मिली. अबकी बार फिर बोखिरिया के खिलाफ पोरबंदर से चुनावी मैदान में हैं.
4-शक्ति सिंह गोहिल (57)
सौराष्ट्र की पूर्ववर्ती लिम्डा रियासत से ताल्लुक रखते हैं. अगस्त में गुजरात में राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी के इलेक्शन एजेंट थे. उस चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता अहमद पटेल पार्टी के उम्मीदवार थे. बेहद हाई-प्रोफाइल मुकाबले में कांग्रेस ने कड़े संघर्ष के बाद किसी तरह यह जीत हासिल की. उसके बाद से शक्ति सिंह गोहिल का कद पार्टी में बढ़ा है. अब तक चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं. 2014 के विधानसभा उपचुनाव में अब्दासा से चुनाव जीते थे. अबकी बार मांडवी सीट से चुनावी मैदान में है.
5-परेश धनानी (41)
2002 में अमरेली सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता पुरुषोत्तम रुपाला को हराकर सुर्खियों में आए. पटेल नेता हैं और पार्टी के क्राइसिस मैनेजर माने जाते हैं. अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के दौरान जब कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक विधायक अंडरग्राउंड या बीजेपी के पाले में गए तो क्राइसिस मैनेजमेंट का काम परेश के जिम्मे ही रहा. पिछली बार अमरेली सीट से जीते थे. इस बार भी इसी सीट से चुनावी मैदान में हैं.
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