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Gujarat Assembly Election 2022: क्या गुजरात में लड़खड़ा रही है भाजपा?
गुजरात विधानसभा की 182 सीटों पर चुनाव होना है। 1996 से 1998 के बीच शंकर सिंह वाघेला और दिलीप पारिख के एक साल 192 दिन की सरकार को छोड़ दें, तो भारतीय जनता पार्टी 1995 से सत्ता में है।
शंकर सिंह वाघेला और दिलीप पारिख ने भाजपा से अलग होकर राष्ट्रीय जनता पार्टी बनाई थी। बाद में दोनों कांग्रेस में शामिल हो गए। 1996 में 27 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन भी लगा था। कांग्रेस 1995 के बाद से सत्ता में नहीं आयी है।
2012 का विधानसभा चुनाव
2001 में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से भाजपा पिछले 22 साल से लगातार सत्ता में है। मुख्यमंत्री का चेहरा रहते हुए मोदी ने आखिरी चुनाव साल 2012 में लड़ा था। उस चुनाव में भाजपा को 182 में से 115 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं कांग्रेस 61 सीटों पर सिमट गई थी।
दोनों पार्टियों में 54 सीटों का अंतर था। लेकिन वोट प्रतिशत के मामले में कांग्रेस भाजपा से ज्यादा पीछे नहीं थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 48 प्रतिशत और कांग्रेस को 39 प्रतिशत वोट मिला था। यानी दोनों पार्टियों के वोट शेयर में सिर्फ 9 प्रतिशत का अंतर था। इस चुनाव में कुल वोटिंग करीब 72% हुई थी।
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि भाजपा ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि कांग्रेस 176 सीटों पर ही चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में शरद पवार की एनसीपी और केशुभाई पटेल की पार्टी को दो-दो सीटें मिली थीं।
2014 के बाद अब तक तीन मुख्यमंत्री
2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दो साल बाद 2014 में लोकसभा का चुनाव हुआ। एनडीए ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा। पीएम के तौर चुने जाने के बाद उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दिया। राज्य की कमान आनंदी बेन पटेल को मिली।
गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल पहले भी राज्य सरकार में शिक्षा और महिला एवं बाल कल्याण जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुकी थीं। बावजूद इसके उन्होंने 2 साल 77 दिन की सरकार चला इस्तीफा दे दिया। 2015 में आनंदीबेन पटेल के शासनकाल में ही पाटीदार आन्दोलन अपने चरम पर पहुंचा था।
गुजरात निकाय चुनाव में जीत का अंतर कम होने के बाद ओम माथुर को राज्य की राजनीतिक परिस्थिति पर रिपोर्ट करने का काम दिया गया। अप्रैल 2016 में माथुर ने रिपोर्ट पेश की, जिसमें 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले आनंदी बेन पटेल को हटाना जरूरी बताया गया। इसके बाद अगस्त 2016 में गुजरात की पहली महिला सीएम ने इस्तीफा दे दिया। मीडिया को इसकी जानकारी उनके फेसबुक पोस्ट से मिली।
आनंदीबेन पटेल के बाद पार्टी ने विजय रूपाणी को मुख्यमंत्री बनाया। भाजपा ने 2017 का विधानसभा चुनाव भी रूपाणी के नेतृत्व में ही लड़ा लेकिन सितंबर 2021 में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों ने कुर्सी जाने का कारण खराब कोविड नीति, पार्टी में गुटबाजी, अप्रभावी स्वभाव होना बताया।
भाजपा 2017 का चुनाव जीत तो गई थी, लेकिन जीत का अंतर बहुत कम हो गया था। भाजपा को 99 और कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत मिली थी। इसके अलावा एनसीपी ने एक और भारतीय ट्राइबल पार्टी ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी। तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विधायक बने थे।
रूपाणी की रुख़्सती के बाद राज्य की बागडोर भूपेंद्र भाई पटेल को मिली। पटेल आरएसएस से लंबे समय से जुड़े रहे हैं। वह कार्यकर्ताओं के लिए आसानी से उपलब्ध बताए जाते हैं। साथ ही उनकी पटेल समुदाय पर अच्छी पकड़ भी है। इन्हीं विशेषताओं के कारण उन्हें साल 2021 में सीएम की कुर्सी मिली। माना जा रहा है कि इस बार भाजपा उन्हीं के मुख्यमंत्री रहते चुनाव लड़ेगी।