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हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल, जामनगर से लड़ेंगे लोकसभा चुनाव
गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं और वो जामनगर से चुनाव लड़ेंगे. हार्दिक के इस ऐलान के साथ ही बीजेपी ने चुनाव में उन्हें घेरने की तैयारी कर ली है. हार्दिक ने रविवार को कांग्रेस में जाने का ऐलान किया था. उन्होंने ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने लिखा था, ''देश और समाज की सेवा के मकसद से अपने इरादों को मूर्तरूप देने के लिए मैंने 12 मार्च को राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में इंडियन नैशनल कांग्रेस जॉइन करने का फैसला लिया है.''
हार्दिक के राजनीति में आने से पाटीदार आंदोलन धीरे-धीरे गुजरात के राजनीतिक नक्शे से खत्म हो जाएगा. बीजेपी ने हार्दिक पटेल को हराने के लिए खास रणनीति तैयार की है. जामनगर में सतवरा, पटेल, अहिर, मुसलमान, अनुसूचित जाति/ जनजाति और क्षत्रिय के वोट काफी मायने रखते हैं.
जामनगर लोकसभा के तहत 7 विधानसभा की सीटें हैं. यहां पिछले चुनाव में कांग्रेस को 4 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि बीजेपी को 3 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. इस बीच जामनगर रुलर सीट के विधायक और कांग्रेस के नेता वल्लभ धारविया ने इस्तीफा दे दिया है. वो बीजेपी से शामिल हो सकते हैं. वल्लभ धारविया सतवरा समुदाय से आते हैं. यहां इस समुदाय के करीब डेढ़ लाख वोटर हैं.
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी यहां जातिगत समीकरण पर काम कर रही है. ठीक दो दिन पहले विजय रुपानी की सरकार ने जामनगर के विधायक धर्मेंद्रसिंह जडेजा को मंत्रीमंडल में शामिल किया. वो इस इलाके से ताकतवर क्षत्रिय नेता हैं. इतना ही नहीं क्रिकेटर रवीन्द्र जडेजा की पत्नी रिवाबा जडेजा पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं.
इस बीच बीजेपी ने मंडावर के विधायक जवाहर चावड़ा को भी बीजेपी अपने खेमे में शामिल कर सकती है. वो अहीर समाज के बड़े नेता हैं. जामनगर से बीजेपी के मौजूदा सांसद पूनम मडाम भी अहिर समाज से हैं. पिछली बार उन्होंने कांग्रेस के विक्रम मडाम को 2014 के चुनाव में 175289 वोटों के अंतर से हराया था.
जामनगर में कांग्रेस को 2009 और 2004 में जीत मिली थी. इससे पहले यहां बीजेपी के चंद्रेश कोराडिया को 1989 से 1999 के बीच लगातार पांच बार जीत मिली थी. जानकारों का कहना है कि हार्दिक का यहां से चुनाव लड़ना थोड़ा हैरान करने वाला फैसला है. हार्दिक पटेल आर्थिक और राजनीतिक तौर पर मजबूत कडवा पटेल समुदाय से आते हैं. वो पाटिदार के आंदोलन के दौरान खबरों में आए. उन्होंने साल 2016 में आनंदीबेन पटेल के खिलाफ जमकर आंदोलन किया था. पटेल ने अपने समुदाय के लिए OBC कोटा के तहत आरक्षण की मांग की थी.
उनके आंदोलन का असर पिछली बार के विधानसभा चुनाव में दिखा था. लेकिन अब हालात बदल गए हैं. मोदी सरकार ने सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण को ऐलान पहले ही कर दिया है. इस बीच हार्दिक पटेल के कडवा समुदाय ने पीएम मोदी को हाल ही में एक मंदिर की नींव रखने के लिए आमंत्रित किया था. ये इस बात के संकेत थे कि अब ये समुदाय एक बार फिर से बीजेपी के करीब आ गई है.