गुजरात

Gujarat News : गुजरात नशे का केंद्र कैसे बन गया

Shiv Kumar Mishra
28 May 2022 8:58 AM IST
Gujarat News : गुजरात नशे का केंद्र कैसे बन गया
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संजय कुमार सिंह

गुजरात में नशीली ड्रग्स की एक और खेप बरामद होने के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से पूछा है कि उनकी नाक के नीचे गुजरात कैसे नशे का ठिकाना बन गया है। यह खबर सिर्फ द टेलीग्राफ में पहले पन्ने पर है।

ड्रग मामले में आर्यन को मुक्त कर दिया गया है। उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। जांचकर्ता समीर वानखेड़े के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश कर दी गई है लेकिन व्हाट्सऐप्प फॉर्वार्ड में भक्त कह रहे हैं कि यह सब पैसे की ताकत से हुआ जबकि तब चर्चा थी कि शाहरुख से वसूली के लिए मामला बनाया गया था। व्हाट्सऐप्प यूनिवर्सिटी का जवाब नहीं।

दूसरी ओर प्रधानमंत्री ने कहा कि वे ड्रोन भेजकर सारी जानकारी मंगा लेते हैं। यह प्रधानमंत्री की सुरक्षा से संबंधित गंभीर मामला है। अखबारों को इसपर प्रकाश डालना चाहिए था कि ड्रोन रखा कहां रहता है, प्रधानमंत्री उसे कैसे भेजकर वापस मंगा लेते हैं, यह सब कैसे होता है पर कुछ दिखा नहीं।

समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को जमानत देने की एक शर्त थी कि उन्हें 13.842 एकड़ की एक संपत्ति की नापी और कंटीले तार से घेरने के काम में "पूर्ण सहयोग" देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त को स्टे कर दिया है और कहा है कि पहली नजर में यह जमानत की शर्तों से ज्यादा लगता है।

लेखक पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के पांच साल बाद मामले में ट्रायल शुरू होगा। उनकी हत्या 5 सितंबर 2017 को कर दी गई थी। तमाम कानूनी बाधाओं के निपटने के बाद अब इस मामले में ट्रायल महीने के हर दूसरे हफ्ते पांच दिनों तक चलेगा।

पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री रुबैया सईद को 1989 में उनके अपहरण के तीस साल से भी ज्यादा बाद मामले की जांच करने वाली टीम ने बुलाया है। यह कश्मीर में अलगवावदी आतंकवाद की शुरुआत का मामला है और इतने समय में यहां तक पहुंचा है (क्योंकि) यासिन मलिक की कथित भूमिका की जांच की जा रही है।

स्टेडियम में कुत्ता टहलाने वाले दंपत्ति के तबादले और उसके प्रचार से नाराज ट्वीटर उपयोगकर्ताओं ने सरकार से पूछा है नालायक अफसरों के लिए कालापानी है अरुणाचल प्रदेश? वैसे तथ्य यह है कि दंपत्ति अपना दिल्ली का सरकारी घर नियमानुसार रख सकते हैं, महीने दो महीने की छुट्टी ले सकते हैं और फिर शांति से यहीं कहीं तैनात किए जा सकते हैं। असल में बहुत सारे अफसर भी बिना छुट्टी लिए काम करते हैं और उनकी छुट्टियां ऐसे मौकों पर काम आती हैं।

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