गुजरात (Gujrat) के विधायक जिग्नेश मेवानी (Jignesh Mevani) को असम (Asam) की एक अदालत ने एक महिला पुलिसकर्मी से बदसलूकी के आरोप में जमानत दे दी है| विधायक पर असम पुलिस की एक अधिकारी ने बदसलूकी करने का आरोप लगाया था| इस मामले में केस दर्ज कर उन्हें उस वक्त गिरफ्तार कर लिया गया था, जब अदालत ने पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट के मामले में उन्हें बेल दे दी थी| जिग्नेश मेवानी के वकील अंगशुमन बोरा ने बताया है कि कुछ औपचारिकताओं के कारण उन्हें 30 अप्रैल को रिहा किए जाने की उम्मीद है।
बता दें कि, इस मामले में मेवानी पर आरोप है कि, उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ गुवाहाटी हवाई अड्डे से कोकराझार जा रही महिला अधिकारी के साथ कथित तौर पर मारपीट की थी। जिसके लिए विधायक मेवाणी पर आईपीसी की धारा 294 (सार्वजनिक रूप से अश्लील शब्द बोलना), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 353 (कर्तव्य के निष्पादन में एक लोक सेवक पर हमला करना) और 354 (एक महिला का शील भंग करने के इरादे से आपराधिक बल का उपयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
मेवाणी पर सोशल मीडिया में पीएम मोदी के खिलाफ टिप्पणी करने का आरोप है। जिस दिन उन्हें ट्वीट मामले में जमानत मिली उस दिन मेवाणी ने संवाददाताओं से कहा था, 'यह भाजपा और आरएसएस की साजिश है। उन्होंने मेरी छवि खराब करने के लिए ऐसा किया है। वे व्यवस्थित रूप से ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने रोहित वेमुला के साथ किया, उन्होंने चंद्रशेखर आजाद के साथ किया, अब वे मुझे निशाना बना रहे हैं।'
बात दें कि ट्वीट मामले में जिग्नेश पर आपराधिक साजिश, पूजा स्थल से संबंधित अपराध, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और शांति भंग करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था।