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गुजरात चुनाव: 22 साल बीजेपी का राज फिर भी मोदी बेबस , लाचार, बेचारे और पीड़ित क्यों? - अभिसार शर्मा
शिव कुमार मिश्र
27 Nov 2017 9:44 PM IST

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बहस होनी होती है गरीबी की रेखा पर, और करते रहते हैं रेखा की गरीबी पर।
वरिष्ट पत्रकार अभिसार शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान को लेकर तंज किया है। जिसमें पीएम मोदी ने कहा कि "कांग्रेस मुझे मेरी गरीबी की वजह से पसंद नहीं करती।" अभिसार ने पीएम मोदी को लेकर कहा "22, साल से BJP राज के बाद भी मैं पीड़ित हूं। साढ़े तीन साल प्रधानमंत्री रहने के बाद, मैं बेचारा हूं। सारे चुनाव जीतने के बाद भी गरीब हूँ , बेबस मैं। मगर मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि गुजरात मॉडल का ज़िक्र नहीं करूंगा। उम्दा।"
22,साल के BJP राज के बाद भी मैं पीड़ित हूं. साढ़े तीन साल प्रधानमंत्री रहने के बाद, मैं बेचारा हूं. सारे चुनाव जीतने के बाद भी गरीब main, बेबस मैं. मगर मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि गुजरात मॉडल का ज़िक्र नहीं करूंगा. उम्दा... https://t.co/82GsXpajSL
— Abhisar Sharma (@abhisar_sharma) November 27, 2017
आपको बता दें कि गुजरात मॉडल दिखा कर पीएम मोदी ने केंद्र, उत्तर प्रदेश, असम, महारास्ट्र, हरियाणा, उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनाई। लेकिन वो गुजरात में ही गुजरात मॉडल की बात नहीं कर रहे हैं। बल्कि इस चुनाव में बीजेपी ने 52 पाटीदारों को टिकट देकर जातिगत समीकरण साध रही है। विकास का राग अलापने वाली बीजेपी विपक्षी दलों के नेताओं पर व्यक्तिगत तौर पर हमले कर रही है।
पीएम मोदी ने रैली में कहा कि "मैं गुजरात का बेटा हूँ, कांग्रेस मेरे बारे में झूठा प्रचार कर रही है। गुजरात की जनता कांग्रेस को सबक सिखाएगी।" सोशल मीडिया के इस दौर में सभी जागरूक लोग जानते हैं कि झूठ का प्रचार कौन और कैसे कर रहा है!
कवि सम्पत सरल ने इस अभिसार शर्मा के ट्विट पर लिखा, शाम को न्यूज़ चैनलों पर जो बहस आती है, उसमें चार लोग होते हैं। एक मुद्दे का समर्थक,दूसरा मुद्दे का विरोधी।तीसरा बुद्धिजीवी,दोनों को हड़काने वाला,और चौथा एंकर,तीनो को भड़काने वाला।
बहस होनी होती है गरीबी की रेखा पर,
और करते रहते हैं रेखा की गरीबी पर।
शाम को न्यूज़ चैनलों पर जो बहस आती है, उसमें चार लोग होते हैं।
— Sampat Saral (@Sampat_saral) November 27, 2017
एक मुद्दे का समर्थक,दूसरा मुद्दे का विरोधी।तीसरा बुद्धिजीवी,दोनों को हड़काने वाला,और चौथा एंकर,तीनो को भड़काने वाला।
बहस होनी होती है गरीबी की रेखा पर,
और करते रहते हैं रेखा की गरीबी पर।

शिव कुमार मिश्र
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