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राज्यसभा चुनाव: गुजरात में चार सीटों पर होगा चुनाव, गृह राज्य मंत्री के न्यौता से कांग्रेस में हडकम्प
गुजरात में राज्यसभा की चार सीटों चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई है. राज्यसभा चुनाव को लेकर गुजरात में सरगर्मी तेज हो गई है. राज्यसभा चुनाव में 26 मार्च को वोट डाले जायेंगे. लेकिन उससे पहले बीजेपी और कांग्रेस में आरोप और प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.
गुजरात में चार राज्यसभा सीटों पर इस बार चुनाव होना है. इस समय बीजेपी के तीन और कांग्रेस का एक सदस्य राज्यसभा में सदस्य है. चूँकि पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार कांग्रेस की सदस्य संख्या बड़ी हुई है तो जाहिर है कि इस बार कांग्रेस और बीजेपी के दो दो सदस्य जाने चाहिए क्योंकि इस बार कांग्रेस के विधायक भी ज्यादा है. हालांकि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई थी, जिसका फायदा उसको इस बार राज्यसभा चुनाव में भी मिलेगा.
गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की संख्या के आधार पर देखा जाए, तो राज्यसभा की दो सीटों पर कांग्रेस पार्टी और दो सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को फतह मिल सकती है. हालांकि इससे पहले विधायकों के जोड़-तोड़ की चर्चा तेज हो गई है.
राज्यसभा चुनाव से पहले गुजरात में जिस तरह से कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफा देने का इतिहास रहा है, उसको लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है. शुक्रवार को विधानसभा में चर्चा के दौरान गुजरात के गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने कांग्रेस के विधायकों से कहा कि राज्यसभा चुनाव से पहले जो भी बीजेपी में आना चाहता है, वो आ सकता है.
इस दौरान सनखेड़ा से बीजेपी विधायक अभय सिंह तड़वी ने गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा की बात का समर्थन किया. इस पर भड़के कांग्रेस विधायक गुलाब सिंह राजपूत ने अभय सिंह तड़वी पर तंज कसते हुए कहा कि आप सरकार का कितना भी समर्थन कर लो, लेकिन आप मंत्री नहीं बनने वाले हैं. मंत्री तो कांग्रेस के नेता ही बनते हैं और विजय रुपाणी सरकार में मंत्री को आउट सोर्स करने की परंपरा रही हैं. क्योंकि आपके पास कोई मंत्री बनने लायक नेता है है नहीं.
सूबे के गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जडेजा के बयान पर राजपूत ने कहा कि हमको कांग्रेस पार्टी ने जो दिया है, वो आप नहीं दे सकते हैं. विधानसभा में हुई इस जुबानी बहस के बाद कांग्रेस ने आरोप लगाया कि चुनाव आते ही बीजेपी डर जाती है और कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश में जुट जाती है.
पिछली बार राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को अपने विधायकों को टूटने से बचाने के लिए बेंगलुरु और पालनपुर ले जाना पड़ा था. इस बार भी कांग्रेस के सामने अपने विधायकों को टूटने से बचाने की बड़ी चुनौती है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अपने विधायकों को टूटने से बचाने के लिए किस तरह की रणनीति बनाती है. इस बार भी बीजेपी राज्यसभा की 4 में से 3 तीन सीटों पर फतह चाहती है, लेकिन उसके पास इतने विधायक नहीं हैं कि वह तीन सीट जीत सके. इसलिए अभी से जोड़ तोड़ की राजनीत शुरू कर दी है ताकि कांग्रेस भी चैन से नहीं रह सके.