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गुजरात में मजदूरों को रोकना सरकार के लिए हो रहा है मुश्किल काम, जानिए कैसे?
गुजरात मे प्रवासी मजदूरों को रोक कर रखने से लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति विस्पोटक रूप अख्तियार करने लगी है.आज भी गुजरात के सूरत में सैकड़ों प्रवासी मजदूरों ने उन्हें घर वापस भेजने को लेकर प्रदर्शन किया है और इस दौरान उनकी पुलिस के साथ झड़प हुई। सूरत के कडोदरा इलाके में सैकड़ों प्रवासी मजदूर इकट्ठा हो गए और घर वापस भेजने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने लगे.
इस दौरान उनकी पुलिस से झड़प हो गई और उन्होंने कई वाहनों को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा उन्होंने पुलिस पर पत्थर भी बरसाए जिसके बाद पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैल के गोले छोड़ने पड़े। NDTV के अनुसार, पालनपुर पाटिया इलाके में भी ऐसा ही प्रदर्शन हुआ है.
सुरत में डायमंड ओर अन्य उद्योगों से जुड़े कामगार वापस जाना चाहते हैं. मिली खबर के मुताबिक 'सूरत के पांडेसरा इलाके में मजूदरों को सड़क पर उतार दिया गया था. मजदूरों ने इस दौरान सोशल डिस्टेनसिंग का ख्याल रखा, लेकिन घऱ जाने के लिए वह बेचैन थे. उनसे प्रति व्यक्ति की दर से 3500 रुपये भी वसूला गया था. सूरत के कलेक्टर धवल पटेल से जब मजदूरों को रोके जाने के बारे में पूछा गया था तो वह आग बबूला हो गए थे.'..
अब तक अकेले सूरत में प्रवासी मजदूर चार बड़े प्रदर्शन कर चुके है पहले भी 10 अप्रैल को प्रवासी मजदूरों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। लॉकडाउन बढ़ाए जाने के एक दिन बाद 15 अप्रैल को भी उन्होंने तोड़फोड़ की। फिर आज जब दूसरा लॉक डाउन खत्म हुआ है तो फिर से मजदूर बिफर गए हैं.......
सूरत और राजकोट में 50-60 रियल एस्टेट परियोजनाएं हैं इसके अलावा अहमदाबाद में भी रियल एस्टेट व्यवसायी कामगारों को रोक कर रखना चाहते हैं, अहमदाबाद में लगभग 100 निर्माण स्थलों ने 20 अप्रैल के बाद काम फिर से शुरू कर दिया है, अगर बचे हुए प्रवासी कामगार भी चले गए तो वहाँ सब प्रोजेक्ट लटक जाएंगे इसलिए बिल्डर ओर उद्योगपति लॉबी मजदूरों को रोक कर रखने के लिए मोदी सरकार पर दबाव बना रही है. पूरे देश मे ऐसे कोई बड़े प्रदर्शन नही हो रहे लेकिन सूरत राजकोट अहमदाबाद में ही ऐसी घटनाएं क्यो सामने आ रही है यह सोचने की बात है.
राजकोट में फंसे श्रमिकों ने शासन प्रशासन से लगाई गुहार
रोजी रोटी के चक्कर में गुजरात के राजकोट में फैक्ट्रियों में नौकरी करने गए कौशाम्बी के श्रमिक कोरोनावायरस के बाद लाक डाउन घोषित होने के चलते गुजरात के राजकोट में कौशांबी के यह श्रमिक फंस गए हैं और बीते डेढ़ महीने से वही समय गुजार रहे हैं
लॉक डाउन के बाद इस बीच फैक्ट्रियां भी बंद हो गयी हैं जिससे श्रमिकों को काम धंधा मिलना भी बंद हो गया है काम-धंधा ना मिलने से श्रमिकों के सामने आर्थिक संकट भी उत्पन्न हो चुका और दो जून की रोटी के लिए कौशांबी के श्रमिक गुजरात में परेशान हैं भूखों को भोजन कराने का तमाम स्वयंसेवी संस्था और माननीय ठेका लेते हैं लेकिन गुजरात में फंसे इन श्रमिकों को किसी ने ढेला भर मदद नहीं की है जिससे श्रमिकों के सामने दिक्कतों का पहाड़ टूट पड़ा है.
कौशांबी जिले के मंझनपुर तहसील के गौरये गांव के 60 श्रमिक गुजरात के राजकोट में नौकरी करते हैं लेकिन इन दिनों वह मुसीबत में चल रहे हैं और मुसीबत में इन श्रमिकों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि वह किसी भी तरह व्यवस्था करके उन्हें अपने घर कौशांबी के गौरये पहुंचने की व्यवस्था सुनिश्चित करें इन मजदूरों के सामने बिकराल स्थिति उत्पन्न खड़ी हुई है कि गुजरात के राजकोट से पैदल चलकर वह सब कौशांबी पहुंचे या फिर दाने-दाने को मोहताज श्रमिक तड़प तड़प कर वही दम तोड़ दें.