

गुजरात में 1990 के बाद विधानसभा का एक भी चुनाव न जीतने वाली कांग्रेस गुजरात में 2017 का चुनाव जीतने का सपना देख रही है, वह सपना भी दूसरों के भरोसे पर. असल में 1985 में गुजरात में हुआ चुनाव कांग्रेस ने माधव सिंह सोलंकी की अगुआई में लड़ा था. माधव सिंह सोलंकी ने चुनाव जीतने के लिए क्षत्रिय मुस्लिम दलित और आर्थिक रूप से पिछड़े लोंगों को अपने साथ कर लिया था. जिसका नतीजा गुजरात की 182 सीटों में से 149 सीटें जीतकर कांग्रेस ने अपनी सरकार बनाइ.
इस जीत में गुजरात के किसान, जो ज्यादातर पटेल समुदाय से ताल्लुक रखते है वो भी कांग्रेस के साथ थे. 1990 का चुनाव गुजरात जनता दल और बीजेपी ने मिलकर लड़ा. जनता दल गुजरात और भाजपा ने मिलकर अपना नेता केशुभाई पटेल को घोषित कर दिया था. अब तक हुए चुनावों से बीजेपी भी समझ चुकी थी कि अगर दलित मुस्लिम गठजोड़ और क्षत्रिय मतदाता कांग्रेस के साथ है तो वह पटेल समुदाय को अपने साथ कर चुनाव जीत सकती है. इसी कारण बीजेपी ने पटेल समुदाय के सौराष्ट्र क्षेत्र के तेज तरार नेता केशु भाई पटेल के नेत्रत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा की.
बीजेपी का पहला ही प्रयोग सफल साबित हुआ और 1990 में कांग्रेस की करारी हार हुई. जनता दल और भाजपा की मिली जुली सरकार केशु भाई पटेल के नेत्रत्व में बनी. इसके बाद गुजरात में कांग्रेस का पतन का दौर शुरू हुआ जिससे वह आज तक वापस मुड़कर नहीं देख पाई. हर बार जोरदार तरीके से चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुनाव हार की हैट्रिक बना चुकी है. लेकिन इस बार उसी पटेल समुदाय के वापसी होने से कांग्रेस खेमें में ख़ुशी और उतसाह जरुर देखा जा सकता है. इस बार उन्हीं माधव सिंह सोलंकी के बेटे के नेत्रत्व में चुनाव लड़ा जा रहा है.
