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जैन मुनि मामले में पीड़ित लड़की ने बताई उस रात की घटना, कैसे हुआ उसके साथ ये!

जैन मुनि मामले में पीड़ित लड़की ने बताई उस रात की घटना, कैसे हुआ उसके साथ ये!
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जैन मुनि शांतिसागर के खिलाफ रेप का आरोप लगाने वाली लड़की सामने आ चुकी है। उसके मुताबिक, ब्रह्मचर्य का दावा करने वाले जैन मुनि शांतिसागर ने सुख-शांति के पाठ के बहाने उससे उसके न्यूड फोटो वॉट्सएेप पर मंगवाए थे। विक्टिम ने लीगल काउंसलर, गाइनेकोलॉजिस्ट और साइकोलॉजिस्ट के जरिए भास्कर को यह बात बताई। विक्टिम ने बताया कि मां-बाप के सुख और कामयाबी जैसी बातों को लेकर शांतिसागर ने जाप करने को कहा और उसी दौरान उसे डरा कर जबरन फिजिकल रिलेशन बनाने पर मजबूर किया।


विक्टिम ने सुनाई आपबीती बात

बकाैल विक्टिम, "13 दिन पहले मुझे फोन कर जाप के लिए सूरत बुलाया। कहा कि रात में रुकना पड़ेगा।" रात को उन्होंने घेरा खींचकर मम्मी-पापा को उसमें बैठा दिया। भाई को दूसरे कमरे में बैठाया।"

"मेरे शरीर पर मोर पंख फेरकर अपने साथ अंदर ले गए। वहां मुझसे पूछा, "तुझे क्या चाहिए?" मैंने कहा, "माता-पिता और मैं खुश रहूं।"

उन्होंने कहा, "ठीक है। मैं जैसा कहूं, वैसा करो।" फिर मुझसे कपड़े उतारने को कहा। मैं हिचकी तो बोले, "मां-बाप को सुखी देखना है तो उतारो, नहीं तो वे मर जाएंगे।" इसके बाद जैन मुनि शांतिसागर ने बत्ती बुझा दी और डराकर फिजिकल रिलेशन बनाने पर मजबूर किया। फिर कहा, "किसी को बताया तो तुम्हारे मां-बाप मर जाएंगे। मैं घबराकर भाई के कमरे में गई और कहा कि यहां से निकलते हैं। वडोदरा लौटते वक्त परिवार को आपबीती सुनाई।"


कौन है मुनि शान्तिसागर महाराज

शांतिसागर बचपन से लेकर जवानी तक का एमपी के गुना डिस्ट्रिक्ट में ताऊजी के साथ रहे। उनके एक दोस्त ने बताया कि पहले उनका नाम गिरराज शर्मा था। उनका परिवार कोटा में रहता था। पिता सज्जनलाल शर्मा वहीं पर हलवाई थे। शांतिसागर की कोटा में चाय की दुकान थी।

दोस्त ने बताया कि गिरराज मौज-मस्ती में जीने वाला था। खूब क्रिकेट खेलता था। पढ़ाई में एवरेज था। उनके दोस्तों का ग्रुप शहर में उन दिनों के सबसे फैशनेबल युवाओं का था। कपड़े हों या हेयर कट, नए ट्रेंड को सबसे पहले यही ग्रुप अपनाता था।

गिरराज 22 साल की उम्र में मंदसौर में जैन संतों के कॉन्टैक्ट में आए। पढ़ाई अधूरी छोड़कर वहीं 1993 में आचार्य कल्याण सागर से दीक्षा लेकर गिरराज से शांतिसागर महाराज बन गए। संन्यासी बनने के तीन दिन पहले वह गुना आए थे। दो दिन बिताने के बाद कभी गुना नहीं लौटे। जैन समाज के लोगों के मुताबिक, उन पर टोने-टोटके के आरोप भी लगे। विरोधियों को कहते थे कि तुम्हें कबूतर बना दूंगा।

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