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गुजरात मॉडल का सच : कोरोना पेशेंट्स की संख्या बराबर तो दिल्ली से ज्यादा मौतें गुजरात में क्यों?
नई दिल्ली: गुजरात में 14,056 कोरोना मरीजों में से 858 की मौत हो गई, जबकि दिल्ली में 14,053 मरीजों में 271 मरीजों की मौत हुई है। यानी कोरोना की वजह से गुजरात में मौत का औसत 6.10 फीसदी है, तो दिल्ली में यह सिर्फ 1.92 फीसदी है। डॉक्टरों का कहना है कि दोनों राज्यों में संक्रमण बराबर होने के बाद भी दिल्ली में मौत कम होना यहां के लोगों में जागरूकता, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और ऑक्सिजन की उपलब्धता हो सकती है।
राजधानी में लो डेथ-रेट के पीछे हैं ये वजहें
दिल्ली सरकार के कोविड सलाहकार और आईएलबीएस के चेयरमैन डॉक्टर एसके सरीन ने कहा कि इसके पीछे तीन वजहें हो सकती हैं। जल्दी रोकथाम, ऑक्सिजन की उपलब्धता और बेहतर गुणवत्ता वाली मेडिकल टीम। उन्होंने कहा कि दिल्ली में लोग कोरोना को लेकर बहुत जागरूक हैं। यह वायरस आमतौर पर खतरनाक नहीं दिख रहा है। 80 पर्सेंट में हल्के लक्षणों वाला है, इसके बावजूद लोग खुद जांच कराने आ रहे हैं। लक्षणों पर गौर कर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि समय पर बीमारी का पता लगना और इलाज शुरू हो जाना किसी भी बीमारी के असर को कम करता है।
दिल्ली में ऑक्सिजन वाले बेड की कमी नहीं
यहां लोग थोड़ा जल्दी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। दिल्ली में आज औसतन रोज 5000 सैंपल की जांच हो रही है। इस वजह से मामले सामने तो आ रहे हैं, लेकिन समय पर इलाज से वो ठीक भी हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस संक्रमण में मरीज को सबसे बड़ी परेशानी सांस लेने में होती है। शरीर में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है और दिल्ली में ऑक्सिजन वाले बेड की कमी नहीं है। इससे फायदा यह है जिन मरीजों के शरीर में ऑक्सिजन कम होती है, उन्हें आसानी से यह दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के अंदर मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छा है।
बुजुर्ग और पहले से बीमार लोगों को ज्यादा खतरा
वहीं, मैक्स के इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर रोमेल टिक्कू ने कहा कि दोनों राज्यों में मौत की वजह कम या ज्यादा होने का सटीक आंकलन करना अभी मुश्किल है। लेकिन यह सच है कि जहां पर भी बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग इस संक्रमण के शिकार होंगे, उनके लिए यह वायरस खतरनाक व जानलेवा हो जाता है। खासकर जो डायबिटीज, हार्ट, किडनी जैसी बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें ज्यादा दिक्कत है।