खिलाडियों की नाराजगी के बाद CM खट्टर ने कमाई का हिस्सा देने वाले फरमान पर लगाई रोक
हरियाणा : हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने खेल एवं युवा विभाग के उस विवादित फरमान पर रोक लगा दी है, जिसमें ऐथलीट्स से व्यवसायिक और पेशेवर प्रतिबद्धताओं से होने वाली उनकी कमाई का एक तिहाई हिस्सा राज्य खेल परिषद में जमा कराने को कहा गया था। ओलिंपियन सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त और गीता फोगाट राज्य सरकार के इस फरमान के विरोध में उतर आए थे। इसके बाद सीएम ने इस फैसले को अगले आदेश तक रोकने को कहा है।
बढ़ते विवाद को देखते हुए सीएम खट्टर ने ट्वीट कर कहा- मैं खेल विभाग से इस फैसले से संबंधित फाइल दिखाने को कहा है। इसे अगले आदेश तक रोक दिया गया है। हमें अपने ऐथलीट्स पर उनके उल्लेखनीय योगदान पर गर्व है। उन्हें आश्वासन देता हूं कि मैं सभी मुद्दों पर विचार करूंगा। बता दें कि इससे पहले खेल एवं युवा विभाग के प्रमुख सचिव अशोक खेमका ने कहा- खिलाड़ियों की पेशेवर खेलों या व्यवसायिक विज्ञापनों से होने वाली कमाई का एक तिहाई हिस्सा हरियाणा राज्य खेल परिषद में जमा किया जाएगा। इस राशि का इस्तेमाल राज्य में खेलों के विकास के लिए किया जाएगा।'
I have asked for the relevant file of Sports Department to be shown to me & the notification dated 30th April to be put on hold till further orders.We are proud of the immense contribution by our sportspersons & I assure them of a just consideration of all issues affecting them.
— Manohar Lal (@mlkhattar) June 8, 2018
विभाग की ओर से कहा गया है कि अगर खिलाड़ी को संबंधित अधिकारी की पूर्व अनुमति के बाद पेशेवर खेलों या व्यवसायिक प्रतिबद्धताओं में भाग लेते हुए ड्यूटी पर कार्यरत समझा जाता है तो इस हालत में खिलाड़ी की पूरी आय हरियाणा राज्य खेल परिषद के खाते में जमा की जाएगी।' राज्य सरकार के इस फरमान का सुशील कुमार, योगेश्वर दत्ता और गीता फोगाट ने कड़ी निंदा की थी। ओलिंपियन रेसलर योगश्वर ने तो इसे अधिकारियों का तुगलकी फरमान बताया। दूसरी ओर सुशील ने कहा कि ओलिंपियन तो पहले से ही गरीब हैं।
दोहरे ओलिंपिक पदकधारी पहलवान सुशील कुमार ने इस मामले पर कहा, 'मैंने अभी तक यह अधिसूचना नहीं देखी है, मुझे यह सिर्फ मीडिया रिपोर्टों से ही पता चल रहा है। मैं सिर्फ यही कह सकता हूं कि ओलिंपिक खेलों में भाग ले रहे एथलीट पहले ही गरीब परिवारों से आते हैं।' उन्होंने कहा, 'सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जिससे ऐथलीट को प्ररेणा मिले। मैंने दुनिया में कहीं भी ऐसी नीति के बारे में नहीं सुना है। खिलाड़ियों को बिना किसी तनाव के टूर्नमेंट में खेलना चाहिए।'
साथी पहलवान और ओलिंपिक कांस्य पदकधारी योगेश्वर दत्त ने इस कदम की कड़ी आलोचना की। उन्होंने ट्वीट किया, 'ऐसे अफसर से राम बचाए, जब से खेल विभाग में आए है तब से बिना सिर-पैर के तुगलकी फरमान जारी किए जा रहे हैं। उनका हरियाणा में खेलों के विकास में योगदान नगण्य रहा है, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि वे राज्य में खेलों के पतन में बड़ी भूमिका निभाएंगे।' उन्होंने कहा, 'अब ऐथलीट अन्य राज्यों में चले जाएंगे और इसके लिए ये अधिकारी जिम्मेदार होंगे।'
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा- इनको (अधिकारियों को) तो यह भी नहीं पता की प्रो-लीग जब होती है तो खिलाड़ी, जो विभिन्न कैंप में रहते हैं, इसमें हिस्सा लेते हैं। कितनी बार छुट्टियों का अप्रूवल कहां-कहां से लेते रहेंगे। साथ ही उन्होंने आरोप लगाए कि खिलाड़ियों से सलाम पाने के लिए साहब (अधिकारी) नए-नए पैंतरे अपनाते हैं।
भारत की महिला कुश्ती पहलवान गीता फोगाट ने एक टेलीविजन चैनल को दिए बयान में कहा, 'यह नया नियम खिलाड़ियों का मजाक बना रहा है। क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए तो ऐसा कोई नियम नहीं है, जो अन्य खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों से अधिक कमाते हैं। क्रिकेट खिलाड़ी विज्ञापनों से बहुत पैसा कमाते हैं, लेकिन मुक्केबाजी, कबड्डी और कुश्ती के खिलाड़ी इतना नहीं कमाते हैं।'