- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- Shopping
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
7 साल में 3 करोड़ से 18 करोड़ का हो गया बजट, लेकिन तालाब वैसे का वैसा ही रहा
अंबाला सिटी। अम्बाला शहर के रहने वाले दीपक शांडिल्य ने कहा है नवरंगराय तालाब के जीर्णोद्धार का कार्य अम्बाला शहर में लगभग 7 साल पहले शिलान्यास कर शुरू किया गया था। बड़ी बिडंबना है कि यह निर्माण कार्य 7 साल बाद भी आज तक अधूरा पड़ा है, जिसकी निर्माण की जांच करनी चाहिए। आखिर यह निर्माण कार्य पूर्ण क्यों नहीं हो रहा है। इस निर्माण कार्य का बजट लगभग 7 साल में 3 करोड़ से 18 करोड़ रुपए तक बढ़ा कर पहुंच गया है। छह गुना बजट तो बढ़ा, लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने के तय समय के लगभग 5 साल बाद भी आज तक अधूरा है। नवरंगराय तालाब पर 135 साल से राज्यस्तरीय वामन द्वादशी का मेला लगता आ रहा था। यहां प्रदेशभर से श्रद्धालु वामन द्वादशी मेले में पहुंचते हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण उस पर भी ग्रहण आज दिन तक लगा हुआ है। हालांकि पिछले से पिछले वर्ष तो कोरोना के कारण मेला नहीं हो सका था।
दीपक शांडिल्य ने कहा है कि श्रद्धा और आस्था के प्रतीक नवरंगराय तालाब की महत्ता को देखते हुए इसके जीर्णोद्धार के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जोरशोर से इस जीर्णोंद्धार की 2015 में घोषणा की थी। उस समय बजट 3 करोड़ रुपए का तय किया गया था। इसके बाद बजट में बदलाव करते हुए इसे 12 करोड़ कर दिया गया था। दीपक शांडिल्य ने बताया कि 2017 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री राम विलास शर्मा ने नवरंगराय तालाब के जीर्णोद्धार के कार्य का आरंभ किया था। यह कार्य मार्च 2019 में पूरा होना था। जो पूरा नहीं हो पाया। इसके बाद ठेकेदार को कोरोना का बहाना मिल गया। अब जब कंपनी ने दोबारा से काम शुरू करना चाहा तो कार्य की लागत बहुत अधिक बढ़ गई। ऐसे में कंपनी द्वारा नए सिरे से बजट को तैयार कर अधिकारियों को भेजा गया है।
अब करीब 6 करोड़ रुपए से बढ़ाकर बजट 18 करोड़ कर दिया गया है। लेकिन इस निर्माण कार्य में आज भी लीपापोती की जा रही है। जो अधूरा निर्माण कार्य थोड़ा तैयार किया गया वह फिर टूटने की कगार पर इसलिए पहुंच गया है कि इसकी आज भी कोई देखरेख नहीं कर रहा है। दीपक शांडिल्य ने मांग उठाई है कि इस निर्माण कार्य की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए। ताकि सात साल में भी यह निर्माण पूरा नहीं हुआ उसका क्या कारण रहा जनता के सामने लाया जा सके। वहीं दीपक शांडिल्य ने कहा है कि मुझे आशंका है कि इस निर्माण में बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है जिसकी जांच करवाना अनिवार्य है। मैं माननीय सीएम हरियाणा से आग्रह करता हूं कि इस निर्माण कार्य की पूरी तरह से जांच करवाएं और लोगों की आस्था को देखते हुए सीएम अपनी देखरेख में जल्द से जल्द नवरंगराय तलाव का जीर्णोद्धार पूर्ण करवाएं।
जानिए परियोजना के बारे में, क्या लुभावने वायदे किए गए थे जो कि सात साल में भी पूरे नहीं हो सके :
सरोवर के चारों ओर परिक्रमा के लिए कॉरिडोर तैयार किया गया है। साथ ही ठाकुरद्वारे के सामने की ओर एक स्क्रीन दीवार का भी निर्माण करवाया जा रहा है। जिस पर विशेष कार्यक्रमों में प्रोजेक्टर के माध्यम से सरोवर के इतिहास के साथ-साथ धार्मिक व ऐतिहासिक ज्ञान पर आधारित अन्य फिल्में भी प्रदर्शित की जा सकेंगी। सरोवर के बीचोंबीच एक पुल बनना है 300 फुट लंबे और 20 फुट चौड़े पुल के दोनों ओर 8 रंगीन फव्वारे लगाए जाएंगे। सरोवर में स्नान के लिए 6 घाट तैयार किए जाएंगे। सरोवर के पूर्व और पश्चिम की तरफ दो प्रवेश द्वार भी बनाए जा रहे हैं। लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत से इस पार्क में कॉरिडोर, चिल्ड्रन पार्क, गजीबो, कैफेटेरिया सुविधाओं के साथ-साथ इस पार्क को बाल भवन परिसर से जोड़ने के लिए एक संपर्क पुल भी तैयार किया जा रहा है।
शिलान्यास के समय तो ये सारे वायदे अम्बाला शहर की जनता के साथ किए गए थे लेकिन आज तक लिपापोती के अलावा यहां कुछ भी नहीं तैयार हुआ। हालांकि इस निर्माण कार्य पर लाखों नहीं करोड़ा रुपए खर्च किए जा चुके हैं और इस निमार्ण कार्य में इतनी गंदगी का अंबार हो गया है 5 वर्षों से यहां काम चल रहा है। इस कार्य के चलते लोगों यहां मान्यता के अधार पर पूजापाठ करने भी नहीं आ पा रहे हैं। इन सब बातों का प्रमुख का गंदगी और अधूरा निर्माण कार्य है। काम देरी होने से लोगों की आस्था भी धूमिल हो रही है। वहीं बात की जाए निर्माण कार्य जल्द पूरा किए जाने की तो इस काम को लेकर शहर के विधायक असीम गोयल भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिसक कारण निर्माण कार्य कच्छुआ चाल से चल रहा है। इस खबर को अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करने की कृपा करें।