चंडीगढ़

हरियाणा की एक तहसील जहाँ फसल खराबा एक नियति बन चुकी है

Special Coverage News
28 Sep 2018 9:57 AM GMT
हरियाणा की एक तहसील  जहाँ फसल खराबा एक नियति बन चुकी है
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भले ही हरियाणा कितना ही कृषि उत्पादन में अग्रिणी होने के दावा करे , परन्तु आज भी यहाँ की जिला भिवानी की तहसील सिवानीहर साल फसल खराबे की मार झेलने को विवश है

चंडीगढ़ से जग मोहन ठाकन

भले ही हरियाणा कितना ही कृषि उत्पादन में अग्रिणी होने के दावा करे , परन्तु आज भी यहाँ की जिला भिवानी की तहसील सिवानीहर साल फसल खराबे की मार झेलने को विवश है और यहाँ के किसान को हर बार अपनी खराब हुई फसल के मुआवजे के लिए आन्दोलन के लिए धरने प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ता है . राजस्थान के बॉर्डर के साथ सटे इस तहसील क्षेत्र के अधिकतर गाँव बारानी होने के कारण वर्षा पर निर्भर हैं और लगभग हर वर्ष एक फसल (खरीफ या रबी ) तो वर्षा के अभाव में दम तोड़ ही जाती है . अगर किसी वर्ष कोई फसल अच्छी बारिश के चलते किसान की उम्मीद बढ़ाती भी है तो वो किसी अन्य प्राकृतिक आपदा ( ओलावृष्टि / शीतलहर / फसल रोग ) का शिकार हो जाती है और बेचारा मार खाया किसान फिर नारे लगाने के लिए तहसील कार्यालय में धरने पर बैठने को मजबूर हो जाता है .




अखिल भारतीय किसान सभा के हरियाणा प्रदेश सचिव दयानंद पूनिया का कहना है कि पिछले दस वर्षों में खरीफ और रबी की बीस फसलों में से कभी भी वर्ष में दोनों फसलें पूरी तरह पक कर किसान के हाथ नहीं लगी हैं. इस वर्ष भी खरीफ की फसल पहले सूखे की वजह से तथा अब बची –खुची कपास की फसल सितम्बर माह की बारिश के कारण ख़राब हो चुकी है . क्षेत्र के किसान आन्दोलन रत है तथा मुआवजे हेतु सरकार से स्पेशल गिरदावरी करवा कर पूर्ण खराबा घोषित करवाने की मांग कर रहे हैं .परन्तु सरकार कम खराबा दिखाकर किसानों को मुआवजे से महरूम रखना चाहती है .

पूनिया कहते हैं , " किसानों की क्या हालात होगी जिनकी फसलें सूखे की वजह से सूख चुकी हैं परंतु सिवानी का प्रशासन इन फसलों को खराब नही मान रहा है. और पटवारी इन फसलों को 15% खराब मान रहे हैं . किसान सभा ने इसका विरोध किया और नायब तहसीलदार ने खुद मौका देखा .सिवानी में बर्बाद फसलों के मुआवजे की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया तब जाकर प्रशासन की तरफ से एक रिपोर्ट दी गयी है , जिसमें केवल ढाणी सिंलावाली, लिलस, झूम्पा कला,झूम्पा खुर्द, मतानी ,मोरका, ढाणी भाकरा, धंधाला, बुधसैली में 50% से उपर खराबा दिखाया है . जबकि किसान सभा का मानना है की पूरी तहसील में बरानी फसलों में खराबा है . पहले किसानों का बाजरा,ग्वार, मुंग सूखे की वजह से पूरी तरह खराब हो गये और अब किसानों की कपास की फसल हर रोज खराब हो रही है किसानों मजदूरों की हालात बहुत ही खराब है.




परन्तु सरकार को किसानों की चिंता नही है और सरकार झाड़ू उठाकर नाटक कर रही है . किसान सभा बर्बाद फसलों के मुआवजे के लिये आन्दोलन करेगी ." इंडियन नेशनल लोकदल के विधान सभा हल्का लोहारू , जिसमे सिवानी तहसील क्षेत्र भी शामिल है , से विधायक ओमप्रकाश बडवा ने भी क्षेत्र में दौरा कर ख़राब हो चुकी फसल को देखते हुए सरकार से मुआवजा देने की मांग की है . " हल्का लोहारू में नरमा कपास की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है. हरियाणा सरकार से हम माँग करते हैं कि इस संकट की घड़ी में किसानों को 25000 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिया जाए ताकि किसान को थोड़ी राहत मिल सके ."




जिला भिवानी के उपायुक्त ने भी जिले में फसल खराबे को स्वीकार किया है . 27 सितम्बर को प्रेस वार्ता में उपायुक्त अंशज सिंह ने कहा , " जिला में राजस्व विभाग के अधिकारियों को फसलों की गिरदावरी शीघ्र करने के निर्देश दिए जा चुके है . खरीफ की फसलों में बाजरा, कपास, धान तथा मक्का की फसल का बीमा ऑरियंटल जनरल बीमा कंपनी द्वारा किया जा चुका है . प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 43 हजार किसानों को कवर किया गया है .बारिश के कारण खराब हुई फसलों के नुकसान के मुआवजा हेतू 6895 किसानों के आवेदन कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को प्राप्त हो चुके है, जिसमें से 750 किसानों के खेत का सर्वे किया जा चुका है और बाकि किसानों के खेतों का निरीक्षण शीघ्र कर लिया जाएगा . जिला में लगभग धान की फसल 14185 हैक्टेयर, बाजरा 31627 हैक्टेयर, कपास 64481 हैक्टेयर, मूंग 4500 हैक्टेयर तथा ग्वार 26765 हैक्टेयर बारिश के कारण खराब हुई है . जिन गांवों के किसानों की फसलों में जलभराव है उस पानी की निकासी की जा रही है ."

यहाँ प्रश्न यह उठता है कि उपायुक्त महोदय ने माना है कि जिला में लगभग धान की फसल 14185 हैक्टेयर, बाजरा 31627 हैक्टेयर, कपास 64481 हैक्टेयर, मूंग 4500 हैक्टेयर तथा ग्वार 26765 हैक्टेयर बारिश के कारण खराब हुई है . परन्तु बीमा कंपनी ने प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के तहत केवल धान , कपास , बाजरा तथा मक्का की फसलों का ही बीमा किया है , तो जो मूंग (4500 हैक्टेयर) तथा ग्वार की 26765 हैक्टेयर में बोई गयी फसल ख़राब हो गयी है , उसका मुआवजा कौन देगा ?




क्षेत्र के बैंकर्स से की गयी बातचीत से एक बात और उभर कर सामने आई है कि किसान बैंक लोन (के सी सी ) स्वीकृत कराते समय प्रस्तावित बोई जाने वाली फसलें अपने आवेदन में लिखता है , बैंक उन्हीं का बीमा करवाता रहता है , जबकि किसान समय समय पर मौसम के अनुकूल फसल बोते समय लिखी गयी फसलों से हटकर दूसरी फसल बो लेता है . हालाँकि बीमा करते समय सरकार व बैंक किसानों को मीडिया तथा अन्य माध्यमों से वास्तविक बोई गयी फसल का ब्यौरा बैंक में देने हेतु सूचित करते हैं , परन्तु अधिकतर किसान बैंक में जाकर वांछित सूचना देने में आना कानी करते हैं , जिसका खामियाजा किसान को बीमा क्लेम मिलते समय भुगतना पड़ता है . किसान के ऋण खाते में बीमा कपास का किया होता है , जबकि गिरदावरी अनुसार तथा मौके पर अन्य फसल बोई मिलती है जो बीमा योग्य श्रेणी में ही नहीं आती .फिर बोई गयी और बीमित फसल मिसमैच होने का बीमा कंपनियां भीफायदा उठाती हैं . नतीजन किसान का बीमा क्लेम या तो रद्द हो जाता है या कम मिलता है , फिर किसान बैंक व प्रशासन के खिलाफ आक्रोशित होता है .

सिवानी तथा बहल क्षेत्र में भी इस प्रकार के मामले तथा अन्य खामियों के नाम पर किसानों को कम मुआवजा मिलने की बात उठी है . अखिल भारतीय किसान सभा हरियाणा के प्रदेश सचिव डॉ बलबीर सिंह ठाकन ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई लंबारड कम्पनी ने कुछ किसानों का बीमा क्लेम यह कहकर नकार दिया कि कृषि विभाग का फसल खराबा आंकलन गलत है तथा उपग्रह चित्रों से कोई नुक्सान नज़र नहीं आता .

डॉक्टर बलबीर सिंह कहते हैं , "आईसीआईसीआई लंबारड कम्पनी द्वारा सिरसा व भिवानी के खरीफ 2017 कपास बीमा क्लेम के 390 करोड़ को नकारने तथा खरीफ 2017 बाजरा क्लेम में कई बैंक शाखाओं में खराबा आकलन का आधा रूपया जारी कर ऋणी किसानों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया है.उदाहरण स्वरूप पीएनबी बहल शाखा में 550 कृषि कार्ड धारकों का 14058230 रूपया क्लेम के बदले 7029115 रुपये तैय मापदंडों से सिर्फ आधा क्लेम ही डाला है और यह काफी बैंकों में दोहराया जा रहा है . ओसत उत्पादन आंकड़ों के अनुसार बहल खंड में लगभग 9-10 हजार प्रति एकङ बाजारा क्लेम मिला है परंतु पीएनबी बहल इसकी आधी राशि के क्लेम का भुगतान किया है . स्टेट बैंक में विलय किए गए बैंकों का बीमा क्लेम भी अटका पङा है ."

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