- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
Archived
क्या हरियाणा मंत्रिमंडल में नहीं है कोई फूट का स्वर ?
जग मोहन ठाकन
24 March 2018 11:35 AM GMT
x
हरियाणा सरकार में आपसी नाराजगी पर बड़ी बात
चंडीगढ़ से जग मोहन ठाकन
क्या बिन बादलों के बारिस हो सकती है ? क्या बिना किसी चिंगारी के धूंआ उठ सकता है ? क्या घर में बिना किसी फूट के होते भी परिवार का मुखिया प्रेस कांफ्रेंस में सरे आम कहता है कि उसके घर में कोई फूट नहीं है ? आखिर क्यों हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को कहना पड़ा कि उनके मंत्रिमंडल में कोई फूट नहीं है ? चाहे मुख्यमंत्री कितना ही स्पष्टीकरण दें ,परन्तु हरियाणा भाजपा के सत्तासीनों में कहीं न कहीं पानी की लीकेज तो हो ही रही है . बिना लीकेज के सीलन नहीं आती , हाँ यह अवश्य हो जाता है कि सीलन काफी पुरानी हो और दिखाई बहुत देर से दे . पर इतना भी तय है कि सीलन ज्यादा पुरानी हो तो भवन को गिरने का खतरा उतना ही बढ़ जाता है . आखिर क्यों खुद मुख्यमंत्री को इस फूट को नकारना पड़ा ? क्यों मुख्यमंत्री को अपनी सरकार के लोकसंपर्क विभाग के माध्यम से अपनी प्रेस विज्ञप्ति में इस पीड़ा को प्रसारित करना पड़ा ?
क्या कहती है प्रेस विज्ञप्ति ?
"चण्डीगढ़, 23 मार्च- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि सामुहिक रूप से बैठक कर चर्चा करना व निर्णय लेना भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति व परंपरा रही है और पूरा मंत्रीमंडल एक जुट है और प्रदेश के हित के लिए सामुहिक निर्णय लेता है.
मुख्यमंत्री आज पंचकूला सेक्टर 11-15 में शहीद भगत सिंह की प्रतिमा का अनावरण करने उपरांत पत्रकारों से बात कर रहे थे और मंत्रियों द्वारा गुप्त बैठक किए जाने के संबंध में पूछे जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे."
क्यों उठी चिंगारी ?
मार्च २० ,२०१८ को हरियाणा मंत्रिमंडल के चार वरिष्ठ मंत्रियों ने सरकारी सचिवालय में ही एक मंत्री के कार्यालय में चाय के बहाने एक निजी मीटिंग की , जिससे हवा उड़ी कि मुख्यमंत्री खट्टर के खिलाफ कोई चक्र - व्यूह की रचना की जा रही है . मीटिंग में भाग लेने वाले चार वरिष्ठ मंत्री बताये गए हैं –अनिल विज , राम बिलास शर्मा , ओमप्रकाश धनखड़ तथा विपुल गोयल . यहाँ उल्लेखनिय है कि प्रथम तीन मंत्री हरियाणा के मुखमंत्री की कुर्सी पर बैठने को काफी समय से लालायित बताये जा रहे हैं , यह अलग बात है कि उनकी यह मंशा भाजपा के इस कार्यकाल में फलीभूत हो पायेगी या नहीं .
फूट की चिंगारी किसी ज्वाला का रूप लेती इससे पहले ही अगले ही दिन मुख्यमंत्री खट्टर ने अपने आवास पर 'डिनर डिप्लोमेसी' के तहत एक भोज का आयोजन कर सभी विमुखित मंत्रियों को ठन्डे शावर के छींटे लगाकर उठ रहे फूट के धुएं को चिंगारी सहित दबा देने का काम कर दिया . बाद में भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी फूट की किसी भी चिंगारी से इनकार किया और इस डिनर को एक रूटीन की प्रक्रिया बताया .
बताया जाता है कि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजय वर्गीय द्वारा इसी १५ मार्च को चंडीगढ़ में ली गयी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों की मीटिंग में भी प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी द्वारा कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को लेकर आवाज उठी थी .अमित शाह की जींद रैली में भी कार्यकर्ताओं द्वारा अपेक्षा से काफी कम भीड़ जुटाने को लेकर उठे सवाल को कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का ही परिणाम माना जा रहा है . अगर हालत यही रहे और कार्यकर्ताओं तथा मंत्री मंडल के सहयोगियों की यों ही उपेक्षा होती रही तो आगामी लोकसभा व विधान सभा चुनावों में पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है . धुएं को बुझा देने से चिंगारी नहीं बुझती , उसकी तह तक पानी सींचना पड़ता है .
चाहे कितना ही फूट से इनकार किया जाए , बिना चिंगारी के धुंआ नहीं उठ सकता .
जग मोहन ठाकन
Next Story