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राम कृष्ण सूफी संतों की धरती पर कलियुगी नकली भगवानों की बढ़ती संख्या और तथाकथित संत रामपाल को दी गई अदालती सजा
भारतवर्ष सूफी संत महात्माओं देवी देवताओं ही नहीं बल्कि साक्षात भगवान विष्णु की प्रिय जन्म एवं कर्मस्थली माना जाता है। ग्रंथों पुरुणों एवं इतिहास में वर्णित अधिकांश सूफी संतों महात्माओं देवी देवताओं की कर्मभूमि भारत की धराधाम से जुड़ी हुई है। यहाँ पर राम, कृष्ण परशुराम, महाबीर, कबीर, रहीम, मीराबाई, तुकाराम, परमहंस, स्वामी विवेकानंद, गुरु गोविंद साहब, जगजीवन साहेब, हाजी वारिस अली शाह, ख्वाजा गरीब नवाज, मलामत शाह, गुरु गोरखनाथ ,साईनाथ आदि जहाँ यहाँ पर खेलकूद बड़े होकर मानवता का संदेश और मनुष्य को मनुष्यता का पाठ पढ़ाकर हर जीव में ईश्वर की मौजूदगी को प्रमाणित कर मानवीय संवेदनाओं के साथ ईश्वरीय राह पर जीवन निर्वहन करने का पाठ पढ़ाया है।
यहीं कारण है कि यहाँ के रहने वालों में अधिकांश लोग श्रद्धा आस्था भक्ति में सरोबोर हैं और अज्ञानता वश वह साधारण मनुष्य या पांखडी को भी संत भगवान एवं देवदूत मानकर उसे ईश्वर मानने लगते हैं।इस समय सैकडों लोग ऐसे हैं जो अपने को भगवान का अवतार बताकर कर लोगों से अपनी पूजा अर्चना करवाकर कलियुगी भगवान बने हुये हैं जबकि सभी जानते हैं कि ईश्वर एक हैं और उसके प्रिय सूफी संत महात्मा अनेकों हैं। संत महात्माओं के बारे में कहा गया है कि उनकी मुलाकात तब हो पाती है जब पिछले कई जन्मों के पुण्य एकत्र होकर उदय होते हैं। इधर कुछ लोग संत महात्मा भगवान के नाम पर धंधा करने एवं दूकान चलाने लगे है और हजारों लाखों लोग इनके मायाजाल में फंसकर उन्हें भगवान तुल्य मानने लगे थे। इधर एक दशक में एकायक संत महात्मा भगवान के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाकर लोगों एवं महिलाओं का शोषण करने के पर्दाफाश होने का दौर शुरु हो गया है।इसी एक दशक में हैं हिन्दू उग्रवाद नया शब्द बन गया और तमाम संत महात्माओं को आतंकी जैसा बनाकर जेल में ठूंस दिया गया है। इनमें कई लोग निर्दोष साबित हो चुके हैं और कुछ मामले आज भी विचाराधीन चल रहे हैं।
इसी तरह अबतक कई तथाकथित कलियुगी संत महात्माओं बाबाओं के भी चेहरा बेनकाब हो चुके है और वह आज वह जेल में हवा खा रहे हैं। वह चाहे बापू आशाराम हो चाहे बाबा राम रहीम हो जो संत के साथ फिल्मी हीरो बनकर हीरोइन के साथ मजा भी उड़ा रहे थे और मामला खुलने पर गिरफ्तारी के समय सरकार के छक्के छूट गये थे। इसी दशक में ही हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग के अवर अभियंता से सतलोक आश्रम के स्वंयभू संतशिरोमणि बने रामपाल को जेलगामी होकर उम्र कैद के साथ एक एक लाख के जुर्माने की सजा हो गयी। हिंसार हरियाणा की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने परसों मंगलवार को उन्हें हत्या एवं अन्य अपराधिक मामलों में दोषी करार देकर सजा सुनाई गई है।इस फैसले के बावजूद उनके अनुयायी उन्हें निर्दोष मानकर आरोपी के बयान का वीडियो वायरल कर पुलिस पर झूठे मामले में फंसाने का आरोप लगा रहे हैं। आश्रम में गत नवम्बर 14 में हत्या के मामले में उनकी गिरफ्तारी को लेकर व्यापक हंगामा मारपीट हत्या आदि सबकुछ हुआ था और इस घटना में छः लोगों की मौत हो गई थी।
पुलिस का आरोप है कि रामपाल के सम्बंध नक्सलियों से भी थे और उन्होंने तमाम लोगों को अपने आश्रम में बंधक बना रखा था। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय द्वारा रियायती न्यूनतम सजा सुनाई गई है और साक्ष्यों सबूतों के आधार पर सुनाई गई है जो न्याय के तराजू पर सही और असत्य दोनों हो सकती हैं क्योंकि कानून अंधा होता है और गवाही व साक्ष्य उसकी आंखें एवं विवेक न्यायाधीश होता है।इतना तो सत्य है कि उनकी गिरफ्तारी के दौरान हिंसा एवं मौतें हुयी थी जिन्हें आसानी से टाला जा सकता था। यह सच है कि इस बदलते दौर में भी लोगों का विश्वास न्यायालय के प्रति बरकरार है और लोग मानते हैं कि अदालत में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है।
भोलानाथ मिश्र वरिष्ठ पत्रकार