फरीदाबाद

पत्नी की गला रेत हत्या कर शव को टुकड़ों में कर फेंकने वाले दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारी को फांसी की सजा

Shiv Kumar Mishra
18 March 2021 7:28 AM GMT
पत्नी की गला रेत हत्या कर शव को टुकड़ों में कर फेंकने वाले दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारी को फांसी की सजा
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अवैध संबंध का शक होने पर दिया वारदात काे अंजाम, मूल रूप से दिल्ली के हरिनगर का है रहने वाला, यहां ग्रीनफील्ड आकर रहता था

फरीदाबाद। पत्नी पर अवैध संबंध का शक होने पर उसकी गला रेतकर हत्या करने और शव को टुकड़ों में करके फेंकने वाले दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारी को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सरताज बासवाना की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने उस पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। घटना मार्च 2018 सूरजकुंड थानाक्ष्ेत्र के ग्रीनफील्ड कॉलोनी की है।

लीगल सेल के एडवोकेट रविंद्र गुप्ता ने बताया कि गुड़गांव के सेक्टर 23ए निवासी बृज शर्मा छह भाई बहन हैं। उन्होंने तीसरे नंबर की बहन अंजू कौशिक की शादी दिल्ली के हरिनगर निवासी संजीव कौशक के साथ की थी। उनका 15 साल का बेटा भी है। संजीव कौशिक दिल्ली जलबोर्ड में नौकरी करते था। लेकिन वह घटना से महज 15 दिन पहले ही बेटे मनन और पत्नी अंजू के साथ यहां ग्रीन फील्ड कॉलोनी में रहने लगा था।

गुप्ता ने बताया कि मुल्जिम संजीव कौशिक पत्नी अंजू पर शक करता था। उसे अंदेशा था कि पत्नी का जीजा के साथ संबंध है। इसी बात को लेकर दोनों में अक्सर विवाद होता रहता था। 17 मार्च 2018 को बेटा मनन अपने ताऊ के घर चला गया था। तभी संजीव ने अंजू से झगड़ा कर मार पिटाई कर दी। इसके बाद घर में रखे कैंची से पत्नी का गला रेतकर माैत के घाट उतार दिया। इसके बाद उसने सिर के कई टुकड़े करके उसे बैग में भरकर दिल्ली लाजपत नगर जाकर फ्लाईओवर से फेंक दिया था। जिस पर केस दर्ज हुआ था। साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने उसे फांसी की सजा सुनाई।

दरवाजा तोड़कर पुलिस ने शव किया था बरामद

सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंच कर दरवाजा तोड़ा और अंदर जाकर देखा तो पुलिसकर्मी दंग रह गए थे। बेडरूम पर महिला की लाश पड़ी थी और उसका सिर काट कर धड़ से अलग किया हुआ था। धड़ गायब था। फर्श पर खून ही खून बिखरा हुआ था। पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि मुल्जिम संजीव पत्नी पर शक करता था। उसे पत्नी का किसी से बातचीत करना पसंद नहीं था। इसी बात को लेकर दोनों में अक्सर झगड़ा होता रहता था। कई बार अंजू के मायके वालों ने भी संजीव को समझाया था, मगर वह किसी की नहीं सुनता था।

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