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हरियाणा : करनाल के बवाल पर पुलिस का एक्शन, 71 लोगों पर FIR दर्ज
हरियाणा के करनाल में बीते दिन मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर की सभा वाली जगह पर हुए बवाल पर अब एक्शन हुआ है. पुलिस के द्वारा इस मामले में 71 लोगों पर FIR दर्ज कर ली गई है. इस मामले में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा है. बता दें कि किसानों के हंगामे के कारण ही सीएम खट्टर को अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था.
क्या था मामला
हरियाणा के करनाल जिले के कैमला गांव में बीजेपी ने किसान संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जहां पर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर किसानों के बातचीत करने वाले थे और उन्हें नए कृषि कानूनों का फायदा समझाने वाले थे. लेकिन उनके अपने विधानसभा क्षेत्र में ही सीएम मनोहर लाल खट्टर को किसानों का भारी विरोध झेलना पड़ा. किसानों के विरोध के चलते उन्हें अपना दौरा रद्द करना पड़ा. जिसके बाद सीएम खट्टर ने चंडीगढ़ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात रखी.
खट्टर बोले- उकसाए गए नौजवानों ने तोड़ा वादा
अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम खट्टर ने कहा, "दिल्ली की सीमाओं पर जो धरने दिए जा रहे हैं खासकर टिगरी और सिंघु बॉर्डर पर उस संबंध में हमारा भी दायित्व बनता है कि किसानों को जो वास्तविकता है वो बताना चाहिए वर्ना एक साइड जो भ्रम फैलाता हुआ नजर आ रहा है ऐसे में अगर लोगों में स्थिति साफ नहीं होगी तो वास्तविकता पता नहीं लगेगी. इससे पहले हमने एक पंचायत की थी, उसकी जानकारी सबको हुई."
आज की घटना पर बात करते हुए खट्टर ने आगे कहा, "आज हमने एक कार्यक्रम रखा था. कल आंदोलनकारियों के नेताओं से प्रशासन की बात हो चुकी थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि हम एक सांकेतिक प्रदर्शन करेंगे लेकिन रैली में कोई ऐसा प्रदर्शन नहीं करेंगे. उस बात पर विश्वास रखते हुए प्रशासन ने अपनी तैयारी की. लेकिन आज जब मुझे वहां पहुंचना था उससे पहले रैली में बड़ी संख्या में लोग वहां मौजूद थे. लगभग पांच हजार की जनता रैली में मौजूद थी. उस जनता का मैं आभार प्रकट करता हूं. खासकर कैमला गांव जहां ये रैली थी वहां का पूरा का पूरा गांव रैली में था."
सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई आज
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कृषि कानून और बॉर्डर पर जारी प्रदर्शन को लेकर सुनवाई होनी है. किसानों के साथ पिछली बैठक में जब कोई नतीजा नहीं निकल रहा था, तब सरकार ने यही कहा था कि अब मामले को सुप्रीम कोर्ट ही संभाले तो बेहतर. हालांकि, किसान संगठनों का कहना है कि इस विवाद में अदालत का रोल नहीं है, वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे.